कविता के जरिए इस्लामोफबिया के लिए भारती बिजनेसमैन को यूएई में माफ़ी मांगनी पड़ी!

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संयुक्‍त अरब अमीरात में भारत के प्रसिद्ध बिजनेसमैन को अपनी एक कविता के लिए माफी मांगनी पड़ी जो उन्‍होंने फेसबुक पर पोस्‍ट किया था। इस कविता में ऐसी बातें थी जो धर्म विशेष के लोगों की भावनाओं को कथित तौर पर आहत करती हैं।

 

गल्‍फ न्‍यूज के अनुसार, शारजाह के एरिज ग्रुप के चेयरमैन सोहन राय ने शनिवार को फेसबुक लाइव वीडियो में एक पोस्‍ट के लिए माफी मांगी जिसमें इस्‍लाम के विरोध में बातें थीं।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, बिजनेसमैन ने कहा उनकी ऐसी कोई मंशा नहीं थी और वे किसी संप्रदाय विशेष की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाना चाहते थे।

 

सोहन राय ने मलयालम भाषा में यह कविता लिखी थी जिसका शीर्षक ‘विद्दी जनमन दिया। उन्‍होंने इस कविता के जरिए बताया कि धर्म ने लोगों को अंधा बना दिया है और वे ईश्‍वर के नाम पर कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लागू नियमों का उल्‍लंघन कर रहे हैं।

 

इसके लिए उन्‍हें काफी आलोचना झेलनी पड़ी। इसके बाद मजबूर हो उन्‍होंने फेसबुक, इंस्‍टाग्राम और अपने ट्विटर अकाउंट से कविता को हटा लिया। हालांकि पोस्‍ट होने के बाद कुछ ही दिनों के भीतर यह कविता इंटरनेट पर वायरल हो गई।

 

हालांकि इसमें किसी संप्रदाय विशेष का उल्‍लेख नहीं है। इसके बैकग्राउंड में एक फोटो लगी है जिसमें कुर्ता, पायजामा और टोपी पहने लोगों की भीड़ का नेतृत्‍व करता एक धर्मगुरू है।

 

यह तस्‍वीर तब्‍लीगी जमात के सदस्‍यों की ओर इशारा करता है जिन्‍होंने न केवल भारत बल्‍कि पाकिस्‍तान, मलेशिया और ब्रुनेई में घातक कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलाने में अहम भूमिका निभाई। हालांकि सोहन राय का कहना है कि कविता के साथ इस्‍तेमाल किए जाने वाले तस्‍वीर की गलती केरल के ग्राफिक डिजायनर की है।

 

उन्‍होंने कहा, ‘इसके पीछे लोगों को ठेस पहुंचाने की मंशा नहीं थी। यह एक गलती है। जो कुछ हुआ है, उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। मुझे इस बात का खेद है कि मैंने अनजाने में किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाई है।

 

मैं विवाद में नहीं फंसना चाहता।’ उन्‍होंने आगे कहा कि जैसे ही मुझे इस बात का पता चला की लोगों की भावनाओं को चोट पहुंची है मैंने तुरंत फेसबुक लाइव वीडियो के जरिए माफी मांगी।