प्रशांत किशोर का अमित शाह को चैलेंज- ‘विरोध की परवाह नहीं तो CAA-NRC पर आगे बढ़े’

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नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर लगातार हमलावर रहे हैं

 

प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है और लिखा है कि अगर आप इसपर हो रहे विरोध की परवाह नहीं करते तो CAA, NRC लागू करने पर आगे बढ़ें।

 

बता दें कि मंगलवार को ही अमित शाह ने चुनौती दी थी कि केंद्र सरकार CAA पर बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेगी और इसके बाद प्रशांत किशोर ने भी उन्हें ट्वीट कर जवाब दिया है।

 

https://twitter.com/PrashantKishor/status/1219824934484152326

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, प्रशांत किशोर ने बुधवार को ट्वीट कर लिखा, ‘नागरिकों की असहमति को खारिज करना किसी भी सरकार की ताकत को नहीं दर्शाता है।

 

  • अमित शाह जी, अगर आप CAA, NRC का विरोध करने वालों की फिक्र नहीं करते हैं तो फिर आप इस कानून पर आगे क्यों नहीं बढ़ते हैं? आप कानून को उसी तरह लागू करें जैसे की आपने देश को इसकी क्रोनोलॉजी समझाई थी।’

 

बता दें कि जदयू ने राज्यसभा, लोकसभा में इस कानून के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने लगातार इसका विरोध किया है और पार्टी से अलग अपनी राय रखी है।

 

उन्होंने ट्विटर के जरिए अपना विरोध लगातार जारी रखा है। प्रशांत किशोर ने इस कानून को लेकर अपनी पार्टी के पक्ष पर भी सवाल खड़े किए और अन्य विपक्षी दलों से इस कानून के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने को भी कहा।

 

प्रशांत किशोर के लगातार विरोध के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी एेलान किया कि राज्य में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन लागू नहीं होगा।

 

इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि अगर सबकी राय हो तो विधानसभा में CAA पर चर्चा भी की जा सकती है।

 

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को नागरिकता संशोधन एक्ट के समर्थन में लखनऊ में आयोजित जनसभा के दौरान विरोधियों पर जमकर हमला बोला।

 

कहा कि कोई कितना भी प्रदर्शन या विरोध कर ले, लेकिन मोदी सरकार CAA पर पीछे नहीं हटेगी। इस कानून को लेकर देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहा है।

 

दिल्ली के शाहीन बाग में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पिछले करीब 40 दिनों से सड़क पर डटे हुए हैं और हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। दिल्ली के अलावा बिहार, उत्तरप्रदेश के कई जिलों मे भी इसका विरोध जारी है।