जानिए, कैसे होता है डायबिटीज़?, सिर्फ़ ये करने से होगा कन्ट्रोल?

   

डायबिटीज होने पर लोग लगातार इंसुलिन का इंजेक्शन लेते रहते हैं. इंसुलिन के दुष्प्रभाव भी होते हैं. लेकिन जर्मनी में एक रिसर्च से पता चला है कि सिर्फ वजन कम कर लेने भर से ही डायबिटीज ठीक की जा सकती है.

अंतरराष्ट्रीय डायबिटीज फेडरेशन की मानें तो भारत के 8.8 प्रतिशत लोगों यानि करीब 11.5 करोड़ लोगों को मधुमेह है. वहीं जर्मनी में करीब 60 लाख लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और यहां हर दिन करीब 1,000 नए मामले सामने आते हैं.

नई रिसर्च से पता चलता है कि वजन कम कर डायबिटीज को रोका जा सकता है. जर्मनी के ही पोषण विषेषज्ञ डॉक्टरमाथियास रिडल कहते हैं,”यह मेरे लिए मील के पत्थर की तरह है और ये साफ है. डायबिटीज का इलाज हो सकता है और अब यह जानलेवा बीमारी भी नहीं रह गई है.” इंग्लैंड में हुए शोध के मुताबिक, बीमारी के शुरुआती छह साल में आप इसे रिवर्स कर खत्म कर सकते हैं.

वो भी बिना किसी दवा के, सिर्फ वजन कम करके. शोध में हिस्सा लेने वालों के लिए सख्त डाइट चार्ट बनाया गया. तीन महीने तक सिर्फ पोषक शेक पीकर, यानि हर दिन सिर्फ 900 कैलोरी का सेवन कर.

इस रिसर्च में भाग लेने वाले मरीजों की मनोवैज्ञानिक देखभाल की गई, पोषण संबंधी सुझाव दिया गया और कसरत भी कराई गई. इस रिसर्च के नतीजे में सिर्फ सात किलोग्राम वजन कम करने वाले सात फीसदी मरीजों को डायबिटीज की दवा लेने की जरूरत नहीं रही.

15 किलोग्राम वजन कम करने वाले 86 फीसदी लोग दवा छोड़ने में सफल रहे. डॉ माथियास कहते हैं कि यह शोध डायबिटीज के इलाज में एक क्रांति है. डॉक्टरों और मरीजों को फिर से सोचने की जरूरत है. अब जिंदगी भर दवा या इंसुलिन लेने के झंझट से बचा जा सकता है.

ऐसे एक मरीज डिर्क फॉन ग्रुबे सिर्फ वजन घटाकर इंसुलिन से मुक्ति पाने में सफल रहे. पहले वो लगातार कुछ ना कुछ खाते रहते थे. कभी कार्बोहाइड्रेट तो कभी मीठे के रूप में. इस बीच वह लगातार मोटे होते गए और उन्हें डायबिटीज हो गया.

डिर्क फॉन ग्रूबे ने पोषण विशेषज्ञों की मदद से अपने खान-पान में बदलाव किया. वजन 23 किलो कम किया. इस तरह वह अपनी दवाएं कम करने में सफल हुए.

डॉ माथियास के मुताबिक डायबिटीज की मुख्य वजह अंगों और पेट में वसा जमा होना है. फैट जितना ज्यादा होगा, उतने ही ज्यादा इंसुलिन की जरूरत पड़ेगी. और ज्यादा इंसुलिन यानि ज्यादा फैट स्टोरेज. यह एक खतरनाक और जानलेवा होता है.

शरीर कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज यानी ब्लड शुगर में बदलता है. पैंक्रियास इंसुलिन का निर्माण करता है. यही इंसुलिन के खून में मौजूद शुगर को कोशिकाओं तक पहुंचाता है. खून में शुगर का स्तर गिर जाता है. लेकिन खून में शुगर बहुत ज्यादा हो तो कोशिकाएं इंसुलिन की प्रतिरोधी हो जाती हैं.

इसके चलते शरीर के एक अहम अंग पैंक्रियास पर दबाव बढ़ जाता है और इंसुलिन का निर्माण धीरे धीरे बहुत ही कम हो जाता है. रक्त में मौजूद शुगर, कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाता. इसी शुगर को घटाने के लिए इंसुलिन लेना पड़ता है.

जर्मनी के डायबिटीज एक्सपर्ट डॉक्टर येंस क्रोएगेर कहते हैं,”वजन जितना ज्यादा होगा, इंसुलिन का असर उतना ही कम होगा. इसका मतलब है कि यदि मैं अपना वजन कम नहीं करता तो मेरे शरीर के इंसुलिन का असर कम होता है.

और अगर मैं इंसुलिन का इंजेक्शन भी लूं तो उसका भी असर नहीं होगा और नतीजतन मेरा वजन और बढ़ेगा.” वजन घटाकर कई लोग डायबिटीज से छुटकारा पाने में सफल रहे. ज्यादातर मामलों में डॉक्टर आहार पर नियंत्रण और एक्सरसाइज के फायदे समझाए बिना ही दवाएं और इंसुलिन के इंजेक्शन लिख देते हैं.

मरीज उनको लेते रहते हैं. ज्यादा इंसुलिन से उनका वजन बढ़ता रहता है और डायबिटीज सही नहीं हो पाती. लेकिन अगर मरीज कसरत कर अपना वजन कम करना शुरू कर दे तो वो अपनी डायबिटीज खत्म कर सकता है.

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी