बाबरी मस्जिद- राम जन्मभूमि विवाद: जानिए, सुप्रीम कोर्ट में क्या क्या हुआ!

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अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में पांचवें दिन की सुनवाई जारी है। सबसे पहले रामलला विराजमान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील के परासरन ने अपनी बहस पूरी करते हुए कहा कि पूर्ण न्याय करना सुप्रीम कोर्ट के विशिष्ट क्षेत्राधिकार में आता है।

उसके बाद इसी पक्ष के लिए सीएस वैद्यनाथन ने बहस शुरू की ने बहस शुरू की। सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि 1949 से बाबरी मस्जिद में नमाज़ अदा नहीं की गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में भी ये ही लिखा है। हाई कोर्ट के फैसले में तीनों जजों ने ये बात मानी थी हालांकि जस्टिस एस यू खान ने इससे थोड़ा अलग नजरिया रखा था, लेकिन उन्होंने भी पूरी तरह से मंदिर के होने से इनकार नहीं किया था।

उन्‍होंने कहा कि 1949 में मूर्ति रखे जाने से पहले भी ये स्थान हिंदुओं के लिये पूजनीय था। हिंदू दर्शन करने जाते थे… किसी स्‍थान के पूजनीय होने के लिए सिर्फ मूर्ति की जरूरत नहीं है।

इस मामले में गंगा, गोवर्धन पर्वत का भी हम उदाहरण ले सकते हैं…अयोध्या मामले में 72 साल के गवाह हाशिम ने कहा था कि अयोध्या हिंदुओं के लिए पवित्र है जैसे मक्का मुसलमानों के लिए पवित्र है।

उल्‍लेखनीय है कि अयोध्या मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन से कहा था कि अगर आप बीच में छुट्टी लेना चाहें तो ले सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने धवन से कहा था कि अगर वह आराम करना चाहें तो किसी भी दिन अदालत को बता कर छुट्टी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सप्ताह में 5 दिन ही सुनवाई होगी। इस अवधि में कोई कटौती नहीं की जाएगी और रोजाना सुनवाई होगी।

पिछली सुनवाई में रामलला की तरफ से पेश वकील परासरन ने कहा था कि हम ये नहीं कह रहे कि पूरी अयोध्या ज्यूरिस्ट परसन है और हम जन्मभूमि की बात कह रहे हैं। जस्टिस बोबड़े ने पूछा था कि क्या इस समय रघुवंश कुल में कोई इस दुनिया में मौजूद है। परासरण ने कहा था कि मुझे नहीं पता।