जानिए, यहूदियों के लिए इजरायल में क्या है नया खतरा?

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इस्राईल में सरकार की ओर से जारी ताज़ा आंकड़ों के अनुसार सन 1948 से सन 2015 के अंत तक सात लाख से अधिक यहूदी, इस्राईल से जाने के बाद कभी वापस नहीं आए और पूरी दुनिया से लोभ व लालच दे दे कर यहूदियों को इस्राईल लाने वालों के लिए यह बहुत बड़ी चिंता की बात है।

सन 2018 में ही 16 हज़ार 7 सौ यहूदियों ने इस्राईल से निकल कर विश्व के किसी देश में जीवन यापन का फैसला किया। इस्राईल में किये गये एक शोध से पता चलता है कि हर एक हज़ार में यहूदी में से एक, इस्राईल छोड़ रहा है जबकि हर एक हज़ार में से केवल एक यहूदी, पलायन करके इस्राईल पहुंचा हुआ होता है।

आंकडों के अनुसार जिन आधे लोगों ने इस्राईल छोड़ कर जाने के बजाए वहीं रहना पसन्द किया है उनमें से अधिकांश वह लोग हैं जो वहीं पैदा हुए हैं जबकि इस्राईल छोड़ कर जाने वालों में से अधिकांश वह लोग हैं जो दूसरे देशों में पैदा हुए।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, इस्राईल छोड़ कर जाने वाले यहूदियों में से 64 प्रतिशत, यूरोप के , 25 प्रतिशत अमरीका और आस्ट्रेलिया के और 11 प्रतिशत एशिया और अफ्रीका से इस्राईल गये थे। इस्राईल छोड़ कर भागने वालों में उच्च शिक्षा प्राप्त यहूदी ही नहीं बल्कि अन्य वर्गों के लोग भी शामिल हैं।

इस्राईली समाचार पत्र हारित्ज़ ने तीन अप्रैल सन 2019 के अपने संस्करण में लिखा है कि इस्राईल के अत्याधिक प्रसिद्ध शेफ, कुमारोफिस्की भी पलायन करके न्यूयार्क जा चुके हैं। ज़ायोनी नेताओं और विशेषज्ञों को यह चिंता है कि इस्राईल से यहूदियों की वापसी की यह प्रक्रिया अगर फिलिस्तीनियों की बढ़ती जनसंख्या के साथ जारी रही तो सन 2020 तक ही फिलिस्तीनियों और पलायन करके इस्राईल जाने वाले यहूदियों की संख्या बराबर हो जाएगी।

इस्राईल में यह चिंता इतना अधिक बढ़ चुकी है कि हालिया कुछ महीनों के दौरान इस्राईल में होने वाले कई बड़े सम्मेलनों में इस विषय पर भाषण दिये गये। इस्राईल ने यहूदियों को फिर से इस्राईल पलायन पर प्रोत्साहित करने के लिए भारी बजट भी पारित किया है।

इस्राईली मीडिया ने यहूदियों की वापसी के कई कारण बयान किये हैं जिनमें महंगाई और रोज़गार के अलावा, हिज़बुल्लाह सहित इस्लामी प्रतिरोध मोर्चे की काफी प्रभावीशाली भूमिका है क्योंकि उनकी वजह से इसराईल में सुरक्षा की स्थिति बेहद डांवाडोल हो गयी है।

वास्तव में यहूदी नेताओं ने, “स्वर्ग” जैसे जीवन का वादा करके पूरी दुनिया से यहूदियों को इस्राईल बुलाया था किंतु वहां पहुंचने के बाद जो हालात नज़र आए उससे ” अच्छे दिन ” की आशा में अपना देश छोड़ कर इस्राईल जाने वाले यहूदियों को बेहद निराशा हुई।

अध्ययनों से पता चलता है कि इस प्रकार के बहुत से यहूदी, इस्राईल जाकर, अपने देश में अपने पहले वाले जीवन से अधिक समस्याओं और कठिनाइयों में जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हो गये उसके बाद असुरक्षा और हमेशा युद्ध व हमले का खतरा भी रहता है जिसकी वजह से इस्राईल से उल्टा पलायन तेज़ हुआ और ज़ायोनी नेताओं की नींद उड़ गयी।

इस्राईल के मआरियो समाचार पत्र ने गत 30 मई के अपने संस्करण में इस बारे में अपनी एक रिपोर्ट में लिखा कि यह निश्चित है कि आजकल बिन गोरियन एयरपोर्ट से बाहर जाने वाले अधिकांश लोग वापसी का इरादा नहीं रखते और उनमें से बहुत से कम लोग दोबारा इस एयरपोर्ट को देखेंगे।