यहां जानिए, कब से शुरु हो सकता है पहला रोजा?

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इस्लाम में रमजान को सबसे पवित्र महीना माना जाता है। इस साल अगर चांद 23 अप्रैल को दिखाई देता है तो 24 अप्रैल को पहला रोजा रखा जाएगा।

 

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, अगर चांद 24 अप्रैल को दिखाई देता है तो पहला रोजा 25 अप्रैल को रखा जाएगा। इसके लिए सहरी का समय 3 बजकर 55 मिनट पर होगा।

 

जबकि इफ्तार का समय 6 बजकर 33 मिनट पर होगा। इसी क्रम के अनुसार, पवित्र महीने रमजान के आखिरी रोजा के दिन सहरी का समय 3 बजकर 29 मिनट पर होगा।

 

वहीं, इफ्तार 6 बजकर 48 मिनट पर होगा। इस महीने में हर दूसरे और तीसरे रोजे के दिन सहरी और इफ्तार के समय में बदलाव होता रहता है। इस साल सबसे बड़ा रोजा महीने के आखिरी दिन होगा, जो 15 घंटे 27 मिनट का होगा।

 

इस्लामी कैलेण्डर के अनुसार, रमजान साल का नवां महीना होता है। इस महीने में शब-ए-क़द्र की रात को क़ुरान का नुज़ूल हुआ था। इस दिन लोग रात भर जागकर इबादत करते हैं।

 

ऐसे में इस महीने में कुरान पढ़ने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि रमजान के महीने में की जाने वाली इबादत से अन्य महीने की तुलना में सबसे अधिक फल मिलता है।

 

रमजान के दिनों में सूर्योदय से पहले खाए गए खाने को सहरी कहा जाता है। वहीं, सूर्यास्त के बाद शाम में रोजा खोलने को इफ्तार कहा जाता है।

 

जबकि सहरी के बाद दिन भर लोग निर्जला उपवास रखते हैं, जिसमें अन्न और जल निषेध है। रमजान के दिनों में अशरे होते हैं, जिन्हें क्रमशः रहमत, मगफिरत और तीसरा जहन्नुम कहा जाता है। सात साल से अधिक उम्र का व्यक्ति रोजा रख सकता है।

 

इस्लाम के अनुसार, एक बार पैगम्बर मोहम्मद से उनके किसी साथी ने पूछा-अगर किसी व्यक्ति के पास इफ्तार के लिए पर्याप्त रसद न हो तो वह कैसे इफ्तार करेगा।

 

इस सवाल के जवाब में पैगम्बर मोहम्मद ने कहा-जो व्यक्ति निर्धन है, वह केवल खजूर और पानी से भी इफ्तार कर सकता है।