कोलकाता के डॉक्टर ने 50 रुपये में डायलिसिस कर रिकॉर्ड बनाया!

, ,

   

कोलकाता में एक डॉक्टर लॉकडाउन शुरू होने के बाद से महज 50 रुपये में ही डायलिसिस कर रहा है। राज्य के तमाम सरकारी अस्पतालों में इसका खर्च 9 से 12 सौ रुपये के बीच है। 

 

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, कोरोना लॉकडाउन की वजह से लगभग साढ़े तीन महीनों से गैर-संक्रमित मरीजों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

 

दिल की और किडनी की बीमारी जैसे गंभीर मरीजों को कोरोना के डर से निजी अस्पताल खाली हाथ लौटा रहे हैं। इस वजह से होने वाली मौतें भी अकसर सुर्खियां बटोरती रही हैं।

 

लेकिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक ऐसा डॉक्टर भी है जो लॉकडाउन शुरू होने के बाद से महज 50 रुपये में ही डायलिसिस कर रहा है।

 

https://youtu.be/r1qjxM8IBNE

 

अपने पेशे को इंसानियत से जोड़ कर सैकड़ों गंभीर मरीजों की जिंदगी बचाने वाले डॉक्टर फवाद हलीम के व्यक्तित्व के कई पहलू हैं। वे सीपीएम के टिकट पर बीते साल लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं और पार्टी के सक्रिय नेता हैं।

 

इसके अलावा हलीम पश्चिम बंगाल के विधानसभा अध्यक्ष रहे अब्दुल हलीम के पुत्र और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटार्यड) जमीरुद्दीन शाह के दामाद हैं।

 

डॉकेटर हलीम ने गरीब तबके के लोगों के कम खर्च में इलाज के मकसद से 2008 में अपने मित्रों और परिजनों के सहयोग से कोलकाता के पार्क स्ट्रीट इलाके में स्वास्थ्य संकल्प नामक गैर-सरकारी संगठन के बैनर तले इसी नाम से एक अस्पताल खोला था।

 

यहां मुख्य तौर पर डायलिसिस ही किया जाता है. उस समय डायलिसिस का खर्च 500 रुपये था। लेकिन धीरे-धीरे यह खर्च घटा कर उन्होंने 350 रुपये कर दिया।

 

लॉकडाउन शुरू होने से पहले डायलिसिस के मरीजों से यही रकम ली जाती थी। लेकिन उसके बाद 26 मार्च से डॉक्टर हलीम ने महज 50 रुपये लेने का फैसला किया।

 

जहां बड़े कॉरपोरेट अस्पतालों ने कोरोना काल के दौरान ऐसे मरीजों से मुंह मोड़ लिया है वहां डॉक्टर हलीम ने ऐसा फैसला क्यों किया? वे बताते हैं, “लॉकडाउन होने के बाद मरीजों से परिस्थिति के बारे में जानकारी मिली। आवाजाही ठप हो जाने से मरीज और उनके परिजन भी फंस गए थे।

 

आने-जाने का खर्च काफी बढ़ गया था। मरीजों की आर्थिक स्थिति और दूसरी दिक्कतों को ध्यान में रख कर ही हमने डायलिसिस का खर्च घटा कर 50 रुपये करने का फैसला किया।

 

डॉक्टर हलीम के अस्पताल में डायलिसिस की नौ मशीनें हैं। वहां पांच शिफ्टों में काम होता है। रोजाना औसतन 30 से 35 मरीज डायलिसिस के लिए यहां पहुंचते हैं।

 

अस्पताल इतने कम खर्च में यह सेवा कैसे दे रहा है? इस सवाल पर डॉक्टर हलीम बताते हैं, “हमारे अस्पताल में निजी अस्पतालों जैसी आलीशान सुविधाएं नहीं हैं।

 

न तो एयर कंडीशंड वेटिंग लाउंज है और न ही कोई चमकदार कैंटीन। खर्च घटाने के लिए हमने अस्पताल में लिफ्ट भी नहीं लगाई है। अस्पताल के तकनीशियन बेहद दक्ष हैं।

 

हमारे काम को देखते हुए डायलिसिस मशीन और दूसरी जरूरी दवाओं की सप्लाई करने वाली कंपनियां हमें बाजार से कम दर में तमाम चीजें मुहैया कराती हैं

 

कई लोग इस नेक काम में आर्थिक सहायता भी दे रहे हैं। इसी से हम मरीजों का इतने कम पैसो में इलाज कर पाते हैं.” यहां तीन डाक्टर मुफ्त सेवाएं देते हैं।