कोविड-19: अमेरिका से इतनी बड़ी गलती कैसे हुई!

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आज पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का खौफ तो है ही वहीं मरने वालों की संख्या में भी इसज़ाफा होता जा रहा है। हर दिन हजारो की तादाद में लोग मौत के घाट उतर जाते है।

 

न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, लाखों लोग इस वायरस की चपेट में आने से संक्रमित हो जाते है, लेकिन अब भी इससे निजात नहीं पाया जा सका है। और अभी भी यह नहीं कहा जा सकता की इस परेशानी का सामना कब तक करना पद सकता है।

 

वहीं अमेरिका में बेकाबू कोरोना ने प्रशासन और व्यवस्था की पोल खोल दी हैै। अमेरिकी प्रशासन की सबसे ज्यादा आलोचना लोगों की समय रहते जांच न कर पाने को लेकर हो रही है।

 

बताया जा रहा है कि जब चीन से अमेरिका में संक्रमण फैलने के संकेत मिले थे तब व्हाइट हाउस में आयोजित हुई एक बैठक में कोरोना वायरस टास्क फोर्स ने इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया।

 

मिली जानकारी के मुताबिक टास्क फोर्स के सदस्यों ने अमेरिका में टेस्टिंग समेत अन्य उपायों पर 10 मिनट से ज्यादा चर्चा तक नहीं की। इस बैठक में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के पदाधिकारियों ने वहां मौजूद सदस्यों को बताया कि उसने एक जांच मॉडल विकसित कर लिया है और जल्द ही इसका उपयोग किया जाने लगेगा।

 

लेकिन जनवरी अंत से लेकर मार्च की शुरुआत तक अमेरिकी में संक्रमण बहुत तेजी से फैला। सोमवार को यहां कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या डेढ़ लाख के पार पहुंच गई है और तीन हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

 

सीडीसी के पूर्व निदेशक डॉ थॉमस फ्रीडमैन का कहना है कि लोगों की स्क्रीनिंग शुरू होने से पहले सरकार की घोर नाकामी उजागर हुई है। विशेषज्ञ जैनिफर नज्जो के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने कोरोना के संभावित प्रभावों को काफी हल्के में लिया।

 

जब अमेरिकी सरकार को कोरोना से बचाव के उपाय करने तब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ध्यान महाभियोग को लेकर बंटा हुआ थाा।

 

इसके बाद ट्रंप ने दावा किया कि यह वायरस अमेरिका में टिकने वाला नहीं हैै। यह गायब हो जाएगाा। मार्च की शुरुआत में जब राज्यों के अधिकारियों ने आखिरकार लोगों की जांचें बढ़ाने का निर्णय लिया, तब तक काफी देर हो चुकी थीी।