चीन ने भले ही कोरोना वायरस के खिलाफ कदम उठाने में पहले देरी की, लेकिन बाद में जिस तरह से उसने वायरस का केंद्र बने हुबेई प्रांत को लॉकडाउन कर महामारी को नियंत्रित किया, वह भारत और अन्य देशों के लिए सबक है।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सख्त कदम उठाकर महामारी को वुहान के अंदर ही समेट देने और कम समय में अपने संसाधनों का पूर्ण प्रयोग करने की चीन की रणनीति सीख देने वाली है।
उल्लेखनीय है कि जिस तरह से अमेरिका, इटली और स्पेन में संक्रमण के मामलों ने चीन को पछाड़ दिया है, ऐसे में दुनियाभर की निगाहें भारत पर ही टिकी हैं। पूरी दुनिया इस पर निगाह लगाए है कि भारत इस महामारी से कैसे निपटेगा।
कोरोना के संक्रमण की कड़ी तोड़ने और इसके प्रसार पर लगाम के लिए भारत में 21 दिन के लॉकडाउन का एलान किया गया है। भारत के इस फैसले की तुलना चीन के उस कदम से की जा रही है, जिसके तहत उसने 23 जनवरी को हुबेई प्रांत में लॉकडाउन कर दिया था।
चीन के लॉकडाउन का उद्देश्य वायरस को उसके केंद्र में ही समेट देना था, वहीं भारत का लक्ष्य है कि यहां वुहान जैसा कोई केंद्र न बनने पाए।
भारत का कदम कुछ विशेषज्ञों के लिए आश्चर्य का भी कारण बना हुआ है, क्योंकि चीन ने वायरस का प्रसार इतना बढ़ने के बाद भी मात्र एक प्रांत में लॉकडाउन किया था, वहीं भारत ने इतनी जल्दी पूरे देश में लॉकडाउन का फैसला कर लिया है।
चीन ने हुबेई में लॉकडाउन के दौरान सुनिश्चित किया था कि लोगों के घरों तक जरूरत का हर सामान पहुंचे। उसने अपनी प्रमुख ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर भी रोक नहीं लगाई थी। भारत भी काफी हद तक इसी तरह की रणनीति पर कदम बढ़ाते हुए वायरस के प्रसार को रोकने में लगा है।