बिहार चुनाव में लालू प्रसाद यादव को नजरअंदाज नहीं कर सकते विरोधी!

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बात बिहार की राजनीति की हो और लालू प्रसाद यादव का नाम न आए, यह सोचना भी अतिशयोक्ति होगी।

 

राज्य की सभी पार्टियां एक तरफ और लालू अकेले दूसरी तरफ। खासकर चुनाव के मौके पर लालू अचानक ही सुर्खियों में चले आते हैं।

 

बिहार में सामाजिक न्याय के पुरोधा, दलितों और शोषितों का आवाज देने वाले एवं ढाई साल से जेल में बंद होने के कारण राजनीति के हाशिये पर रहे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव आज भी विरोधियों के निशाने पर हैं।

 

कारण साफ है, बिहार की राजनीति में उन्हें नकारना मुश्किल है। लालू के 73वें जन्मदिन पर विरोधियों ने उनका तीसरा बेटा तरुण के होने का खुलासा करके एकबार फिर राजनीति गरमा दी है। लालू विरोध कर सत्ता में आने वालों को सत्ता में बने रहने के लिए भी लालू का नाम जरूरी लगता है।

 

बिहार की सियासी रणभूमि में लालू को नजरअंदाज करना मुश्किल लगता है। यही वजह है कि कोरोना संकट के इस दौर में आहिस्ता-आहिस्ता विधानसभा चुनाव की तरफ बढ़ रहे बिहार में एक बार फिर लालू प्रसाद यादव की गूंज तेज हो गई है।

 

गुरुवार को लालू यादव का जन्म दिन था. इस दिन का इस्तेमाल उनकी अपनी पार्टी से ज्यादा उनके विरोधियों ने किया। जन्मदिन पर लालू यादव की जायदाद और जमीन खरीद के मामले में हमला बोलकर।

 

बीते ढाई साल में लालू जेल में हैं. हाशिए पर रहते हुए भी वे कितने महत्वपूर्ण हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विधान सभा चुनाव के शंखनाद के मौके पर देश की पहली वर्चुअल रैली में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन पर और उनके परिवार पर निशाना साधने से परहेज नहीं किया।

 

राज्य में सत्तारूढ़ एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस) के मुख्य घटक दल के नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री व उनकी पार्टी के अन्य सहयोगी भी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वर्चुअल संवाद में लालू शासन की याद दिलाने से गुरेज नहीं करतेे।

 

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी