Live: PM मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष पैकेज का एलान किया

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज एक बार फिर रात 8 बजे राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा है कि लॉकडाउन का चौथा चरण, लॉकडाउन 4, पूरी तरह नए रंग रूप वाला होगा, नए नियमों वाला होगा। राज्यों से हमें जो सुझाव मिल रहे हैं, उनके आधार पर लॉकडाउन 4 से जुड़ी जानकारी भी आपको18 मई से पहले दी जाएगी। एक वायरस ने पूरी दुनिया को तहस नहस कर दिया पीएम मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए दुनिया को अब चार महीने से ज्यादा हो रहे हैं। एक वायरस ने दुनिया को तहस-नहस कर दिया है।

विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं। सारी दुनिया, जिंदगी बचाने की जंग में जुटी है। लेकिन थकना, हारना, टूटना-बिखरना, मानव को मंजूर नहीं है। सतर्क रहते हुए, ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए, अब हमें बचना भी है और आगे भी बढ़ना है। पीएम मोदी ने कहा कि तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई है। भारत में भी अनेक परिवारों ने अपने स्वजन खोये हैं। मैं सभी के प्रति संवेदन व्यक्त करता हूं।

भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE किट बन रही एक राष्ट्र के रूप में आज हम एक बहुत ही अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, एक संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है। विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- आत्मनिर्भर भारत।

जब कोरोना संकट शुरु हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज 2 लाख PPE और 2 लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। ये हम इसलिए कर पाएं क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया।

आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी की प्रभावी सिद्ध होने वाली। भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करता है, तो आत्मकेंद्रित व्यवस्था की वकालत नहीं करता।

भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।

भारत की प्रगति में तो हमेशा विश्व की प्रगति समाहित रही है। दुनिया को विश्वास होने लगा है कि भारत बहुत अच्छा कर सकता है, मानव जाति के कल्याण के लिए बहुत कुछ अच्छा दे सकता है। सवाल यह है – कि आखिर कैसे? इस सवाल का भी उत्तर है- 130 करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत का संकल्प। हमारा सदियों का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। भारत जब समृद्ध था तब सोने की चिड़िया कहा जाता था। सम्पन्न था तब सदा विश्व के कल्याण की राह पर ही चला।