लॉकडाउन का असर: रोड पर केला बेचने पर मजबूर हुआ शिक्षक!

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कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए गत ढाई माह से जारी लॉकडाउन ने न जाने कितने लोगों की जिंदगी तबाह कर दी।

 

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, अनेक परिवार बेघर हो गए तो बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक अपने गृहराज्य के लिए पैदल ही निकल गए। परेशानी उन लोगों की ज्यादा बढ़ गई जिनका परिवार हर माह आने वाली तनख्वाह से चलता था।

 

गत तीन माह से तनख्वाह नहीं आने से अनेक परिवार सड़क पर आ गए। उनके लिए परिवार को भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया। ऐसे लोगों को छोटा-मोटा काम करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ऐ

 

से ही एक शिक्षक को अपने परिवार को पोषण करने के लिए ठेले में केले बेचने पर मजबूर होना पड़ गया।

नेल्लोर के वेदापालमयम निवासी 43 वर्षीय वेंकट सुब्बैया पॉलिटिकल साइंस, एमए तेलुगु और बीडी पूरी करने के बाद एक निजी स्कूल में संस्कृत शिक्षक के रूप में कार्यरत था।

 

लॉकडाउन की वजह से स्कूल के ताला लग गया जिससे वेंकट की आमदनी शून्य हो गयी। इसके बाद उन्होंने घर से कंप्यूटर से ऑनलाइन क्लास लेना शुरू किया, कुछ दिन बाद उनका सॉफ्टवेयर खराब हो गया।

 

दस पर स्कूल वालो ने उनको नौकरी से निकल दिया और ऑनलाइन क्लास का वेतन भी नहीं दिया। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई।

 

वेंकट सुब्बैय्या ने पत्रिका को बताया कि पिछले एक साल से मैं एक निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में काम कर रहा था जिसमें 16,080 रुपये मासिक वेतन मिला रहा था।

 

स्कूल में नए छात्रों को एडमिशन भी दिलाया, लेकिन इस बार मैं कोविड-9 डर के कारण असफल रहा, क्योंकि सभी लोग घर पर ही रह रहे थे। इसीलिए स्कूल प्रबंधन ने मुझे मई से अपनी सेवा बंद करने को कह दिया।

 

जब आय का कोई अन्य विकल्प नहीं बचा तो मैंने 20 मई से केले बेचना शुरू कर दिया ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके। हालांकि दिनभर में केले बेचने पर दो सौ रुपए से अधिक की आय नहीं हो पाती।

 

सुब्बैया ने बताया उन्होंने अपने बेटे के उपचार के लिए एक निजी फाइनेंसर से 3.5 लाख रुपये उधार लिए थे। इस राशि का हर माह करीब 8,000 रुपये ब्याज देना पड़ता है।

 

नेल्लोर के जिला शिक्षा अधिकारी एम जनार्दन चार्युलु से संपर्क किया तो उन्होंने कहा इस मुद्दे को हमारे संज्ञान में लाया गया है। हम इसकी विस्तृत जांच करेंगे।

 

हमने निजी स्कूलों के प्रबंधन को भी निर्देश दिया है कि लॉकडाउन की अवधि में कर्मचारियों को पूरे वेतन का भुगतान करें।