नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा में पास

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लोकसभा में मंगलवार को हंगामे के बीच नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया। मंगलवार को लोकसभा का सत्र शुरू होने के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने नागरिकता संशोधन बिल पेश किया था। बिल पेश करने के दौरान कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सदन से वाकआउट कर गए थे।

मंगलवार को लोकसभा में बिल पेश करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि असम की सीमा देश की सीमा है और जो भी जरूरी होगा, केंद्र सरकार वह सब करेगी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दी थी, जिस पर संसद की संयुक्त समिति ने विचार किया। सदन में सिंह ने बताया कि असम के छह समुदायों को आदिवासी समुदाय का दर्जा देने की मांग लंब समय से की जा रही थी। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक समिति का गठन किया था और समिति ने सिफारिश दे दी है । इस बारे में विचार विमर्श भी किया गया है।

यह विधेयक नागरिकता कानून 1955 में संशोधन के लिए लाया गया है। इसके अनुरूप कोच राजभोगशी, ताइ आहोम, चोटिया, मतक, मोरान एवं चाय बागान से जुड़े समुदायों को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किया जाना है।

इस विधेयक के कानून बनने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के मानने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को 12 साल के बजाय छह साल भारत में गुजारने पर और बिना उचित दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।

साभार- ‘अमर उजाला’