पीएम मोदी से ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात हो गई है अब 48 घंटे में कमलनाथ सरकार गिर सकती है। जी हां सूत्रों के अनुसार ऐसा ही कहा जा रहा है।
डेली न्यूज़ पर मध्यखबर के अनुसार, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बेहद मुश्किल में नजर आ रही है। पार्टी के नाराज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर इस अंदेशे को और मजबूती दे दी है।
बताया जा रहा है कि सोमवार को सिंधिया ने पीएम मोदी से मुलाकात की है। बीजेपी सूत्रों ने बताया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी में शामिल करने की योजना पर काम किया जा रहा है।
इसका अंदाजा इस बात भी लगाया जा सकता है कि बीजेपी आश्वस्त है कि 48 घंटे के अंदर कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
बीजेपी सूत्रों का ये भी कहना है कि कांग्रेस के बागी विधायक विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेज सकते हैं। ऐसे विधायकों की संख्या 20 हो सकती है।
यानी अगर ऐसा होता है तो कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी और इसके बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं।
चर्चा इस बात लेकर भी हो रही है कि अगर सिंधिया बीजेपी में जाने का फैसला करते हैं तो वहां उनका रोल क्या होगा। इस पर बीजेपी सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके समर्थन से राज्यसभा भेजा जा सकता है।
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। यहां 2 विधायकों का निधन हो गया है। इस तरह से विधानसभा की मौजूदा शक्ति 228 हो गई है। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं।
जबकि सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 115 है। कांग्रेस को 4 निर्दलीय, 2 बहुजन समाज पार्टी और एक समाजवादी पार्टी विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है।
जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक हैं. लेकिन कहा जा रहा है सिंधिया खेमे के करीब 20 विधायक अपने इस्तीफे दे सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी आसानी से जादुई आंकड़ा हासिल कर सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है।
कमलनाथ ने आरोप लगाया है कि बीजेपी माफिया के सहयोग से सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। सोमवार रात उन्होंने एक बयान में कहा कि मैंने अपना समूचा सार्वजनिक जीवन जनता की सेवा के लिए समर्पित किया है।
मेरे लिए सरकार होने का अर्थ सत्ता की भूख नहीं, जन सेवा का पवित्र उद्देश्य है। पंद्रह वर्षों तक बीजेपी ने सत्ता को सेवा का नहीं, भोग का साधन बनाए रखा था और वो आज भी अनैतिक तरीके से मध्यप्रदेश की सरकार को अस्थिर करना चाहती है।