नागरिकता संशोधन विधेयक: प्रशांत किशोर ने गैर बीजेपी मुख्यमंत्रीयों से स्टैंड साफ़ करने को कहा

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नए नागरिकता कानून का विरोध जारी है। पार्टी लाइन से हटकर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी विरोध कर रहे हैं। प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को कहा कि संसद में बहुमत बरकरार रहा।

आज तक पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि अब न्यायपालिका से परे, भारत की आत्मा को बचाने की जिम्मेदारी गैर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) शासित 16 राज्यों के मुख्यमंत्रियों पर है, जो कानून का क्रियान्वयन करेंगे।

पीके ने कहा कि तीन मुख्यमंत्रियों (पंजाब/केरल/पश्चिम बंगाल) ने नागरिकता कानून और एनआरसी को न कह दिया है।

उन्होंने कहा कि बाकी मुख्यमंत्रियों को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए. गौरतलब है कि पीके ने नागरिकता संशोधन विधेयक के दोनों सदनों से पारित होने के बाद ट्वीट कर कहा था कि बताया जा रहा है कि इसका उद्देश्य नागरिकता देना है, लेना नहीं।

लेकिन सच्चाई एनआरसी के साथ है। यह धार्मिक आधार पर भेदभाव के साथ उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार के हाथों में घातक कॉम्बो देता है। बता दें कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार के इस बिल का समर्थन करने के तुरंत बाद ही पीके ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

पीके ने ट्वीट कर विरोध जताया और लिखा कि बिल का समर्थन करने से पहले पार्टी नेतृत्व को 2015 के विधानसभा चुनाव में भरोसा जताने वाली जनता के बारे में भी सोचना चाहिए था।

जेडीयू ने दोनों सदनों में इस बिल का समर्थन किया था। पार्टी के इस फैसले से पीके के अलावा कई और नेता भी नाराजगी जता चुके हैं।