इस मुस्लिम देश में मौत की सजा पाने वालों को लेकर बड़ा खुलासा!

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एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया में फरवरी 2019 तक जितने लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है उनमें से करीब आधे विदेशी हैं। इनमें ड्रग की तस्करी में शामिल महिलाएं भी हैं।

मलेशिया में सरकार द्वारा दी जाने वाली मौत की सजा से विदेशी नागरिक काफी ज्यादा प्रभावित हैं। सजा पाए हुए लोगों में करीब आधे लोग विदेशी हैं जिनमें भारतीय नागरिक भी शामिल हैं। पुरुषों के अलावा महिलाएं भी सजायाफ्ता हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार मलेशिया में फरवरी 2019 तक जितने लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है उनमें से करीब आधे विदेशी हैं। इनमें ड्रग की तस्करी में शामिल महिलाएं भी हैं।

मानवाधिकार संगठनों ने मलेशिया से सभी अपराधों के लिए मृत्युदंड को समाप्त करने का आग्रह किया। इसके बाद इस साल मार्च में मलेशिया ने मौत की सजा को कई अपराधों से हटाने की योजना बनाई थी. अभी तक मलेशिया में कुल 33 अपराधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है।

एमनेस्टी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि मलेशिया में फरवरी 2019 तक मौत की सजा पाने वाले कैदियों की संख्या 1281 थी. इनमें 44 प्रतिशत नाइजीरिया, इंडोनेशिया, ईरान, भारत और थाइलैंड सहित दूसरे देशों के नागरिक हैं।

इनमें 141 विदेशी महिलाएं भी शामिल हैं जिनमें से ज्यादातर को ड्रग तस्करी के मामले में दोषी ठहराया गया है। मलेशिया में ड्रग्स की तस्करी और हत्या के अपराध में मौत की सजा ही दी जाती है।

एमनेस्टी इंटरनेशनल मलेशिया की कार्यकारी निदेशक शामिनी दर्शनी कालीमुथू कहती हैं, जिन महिलाओं को मौत की सजा दी गई है उनमें से कई अपने दोस्त या पार्टनर के साथ मलेशिया जाने वाली थीं।

लेकिन अंतिम समय में वीजा या अन्य वजह से उनके दोस्त नहीं जा सके। और इन महिलाओं का कूरियर की तरह इस्तेमाल किया गया। मतलब इन महिलाओं के दोस्त या पार्टनर ने इनके जरिए ड्रग्स की तस्करी की। जिसमें ये महिलाएं पकड़ी गईं।

रिपोर्ट में पाया गया है कि मौत की सजा पाए कई लोगों को अधिकारियों ने प्रताड़ित किया। उन्हें कानूनी सहायता या काउंसलर एक्सेस की सुविधा नहीं दी गई।

इनके मामले की सुनवाई भी सही तरीके से नहीं की गई। कुछ मामलों में बिना ट्रांसलेटर की उपस्थिति में उनसे मलाई भाषा के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए गए।

जबकि ये लोग मलेशिया की भाषा नहीं समझते थे। इस रिपोर्ट को लेकर जबाव मांगे जाने पर मलेशिया के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से किसी तरह की टिप्पणी नहीं की गई है।