पत्नी को एग्जाम दिलाने के लिए स्कूटर से तय किया 1200 किलोमीटर का सफ़र!

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कुछ करने की चाहत हो तो राहें कैसी भी हो, इंसान अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाता है। कुछ ऐसा ही किया धनंजय मांझी ने।

 

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, बिहार के गया जिला में दशरथ मांझी ने पत्नी की याद में पहाड़ काटकर रास्ता बना दिया, तो झारखंड के गोड्डा जिला के धनंजय मांझी ने अपनी गर्भवती पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटी से 1200 किलोमीटर की दूरी के सफर को भी पूरा कर लिया।

 

झारखंड के गोड्डा जिला के रहने वाले धनंजय मांझी अपनी गर्भवती पत्नी को डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीएलएड) द्वितीय वर्ष की परीक्षा दिलाने के लिए स्कूटी चलाकर झारखंड के गोड्डा से मध्यप्रदेश के ग्वालियर पहुंच गये।

 

बता दें कि धनंजय झारखंड के गोड्डा जिले के गांव गन्टा टोला के रहने वाले हैं और यह बांग्लादेश की सीमा से बमुश्किल 150 किलोमीटर दूर है।

 

पत्नी को परीक्षा दिलाने के लिए धनंजय ने करीब 1200 किमी स्कूटी चलाई और झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश के विभिन्न पहाड़ी-मैदानी रास्तों को पार करते हुए मप्र के ग्वालियर पहुंचे। इस दूरी का सफर करने वाले धनंजय ने बताया कि दोपहिया से लंबे रास्ते में तेज बारिश होने पर हम एक पेड़ के नीचे दो घंटे तक खड़े रहे।

 

इसके बाद बिहार के भागलपुर से गुजरते समय बाढ़ का सामना करना पड़ा, तो कई शहर और गांवों की बदहाल सड़कों से गुजरे। गड्ढों के कारण काफी परेशानी हुई।

 

जबकि मुजफ्फरपुर में एक रात लॉज में और लखनऊ में एक रात टोल टैक्स बैरियर पर भी रुके। कई परेशानियों के बाद हम पहुंच गए।

 

धनंजय पत्नी के टीचर बनने का सपना पूरा करने के लिए उसने स्कूटी से मध्यप्रदेश जाने की ठानी, क्योंकि वहां तक जाने का और कोई जरिया नहीं था।

 

उनके पास में इतने पैसे भी नहीं थे कि गाड़ी बुक करके आराम से गर्भवती पत्नी को लेकर ग्वालियर तक चला जाता। इतना ही नहीं 1200 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए स्कूटी में पेट्रोल भराने के लिए उसे पत्नी के जेवर तक गिरवी रखने पड़े।

 

तीन दिन की थका देने वाली स्कूटी की यात्रा में जब भी पत्नी सोनी हेम्ब्रम परेशान हुई, तो धनंजय ने उसका हौसला बढ़ाया।