‘मन की बात’: पीएम मोदी ने जल संरक्षण पर जोर दिया!

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल के दूसरे ‘मन की बात’ में पानी के महत्व पर जोर दिया। पीएम ने कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था।

माघ महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोत्रों से जुड़ा हुआ माना जाता है। माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है।

दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई न कोई परम्परा होती है।

नदियों के तट पर ही अनेक सभ्यताएं विकसित हुई हैं। भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो।

जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, पीएम मोदी ने कहा कि इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।

पानी एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन के लिए जरूरी है।

इसलिए पानी के संरक्षण के लिए हमें अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए। उन्होंने बताया कि अब से कुछ दिन बाद ज​ल शक्ति मंत्रालय द्वारा जल शक्ति अभियान ‘कैच द रेन’ शुरू किया जा रहा है।

संत रविदास जी का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा संत रविदास जी के नाम के बिना पूरी नहीं होती।

रविदास जी कहते थें- करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस।

कर्म मानुष का धम्र है, सत् भाखै रविदास। अर्थात हमें निरंतर अपना कर्म करते रहना चाहिए, फिर फल तो मिलेगा ही मिलेगा, कर्म से सिद्धि तो होती ही होती है।

पीएम मोदी ने कहा कि हम अपने सपनों के लिए किसी दूसरे पर निर्भर रहें, ये बिलकुल ठीक नहीं है। हमारे युवाओँ को कोई भी काम करने के लिए खुद को पुराने तरीकों में बांधना नहीं चाहिए।

अपने जीवन को खुद ही तय करिए। अपने तौर तरीके भी खुद बनाइए और अपने लक्ष्य भी खुद तय करिए। अगर आपका विवेक, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको दुनिया में किसी भी चीज से डरने की जरूरत नहं है।