जामिया हिंसा: मीडिया ने पत्थर बताकर छात्र को फंसाने की कोशिश की, निकला पर्स!

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जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी द्वारा जारी वीडियो से, जिसमें दिल्ली पुलिस जामिया लाइब्रेरी के अंदर तोड़फोड़ और छात्रों पर लाठीचार्ज करती हुई नजर आ रही है। वीडियो से तिलमिलाई दिल्ली पुलिस ने छात्रों को फंसाने के लिए एक दूसरा वीडियो जारी किया था।

 

 

दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया के छात्रों को फंसाने के लिए जो वीडियो जारी किया था, उस वीडियो को लेकर दिल्ली पुलिस खुद ही फंस गई है। छात्र के हाथ में पत्थर होने का पुलिस का दावा और उसके द्वारा जारी किया गया वीडियो झूठा साबित हुआ है।

 

 

पुलिस ने अपने जिस वीडियो में यह दावा किया था कि एक छात्र के हाथ में पत्थर है, उस वीडियो की ऑल्ट न्यूज़ ने पड़ताल कर पुलिस और न्यूज़ चैनलों के दावों को गलत साबित कर दिया है। ऑल्ट न्यूज़ ने पाया कि इस वीडियो में छात्र के हाथ में पर्स है, जिसे पुलिस पत्थर बता रही है, और छात्र के दूसरे हाथ में मोबाइल है।

 

 

 

ऑल्ट न्यूज़ ने पड़ताल के दौरान जब वीडियो को स्लो करके देखा तो छात्र के हाथ में पर्स दिखा न कि पत्थर। ऑल्ट न्यूज़ द्वारा जारी तस्वीर में आप देख सकते हैं कि छात्र के हाथ में पर्स है, पत्थर नहीं है।

 

पुलिस द्वारा जारी वीडियो को लेकर बीजेपी के नेताओं ने भी जामिया के छात्रों पर सवाल खड़े किए थे। लेकिन, ऑल्ट न्यूज़ की पड़ताल के बाद न्यूज़ चैनल, बीजेपी और पुलिस सन्नाटे में है। अब तक पुलिस या फिर बीजेपी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

 

गौरतलब है कि जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी द्वारा जारी वीडियो से, जिसमें दिल्ली पुलिस जामिया लाइब्रेरी के अंदर तोड़फोड़ और छात्रों पर लाठीचार्ज करती हुई नजर आ रही है, दिल्ली पुलिस परेशान है।

 

इस वीडियो से तिलमिलाई दिल्ली पुलिस ने छात्रों को फंसाने के लिए एक दूसरा वीडियो जारी किया था और यह साबित करने की कोशिश की कि छात्र पथराव कर रहे थे।

 

पुलिस ने अपने दावे में कहा था कि चूंकि छात्र पथराव कर रहे थे, ऐसे में वह लाइब्रेरी में उन उपद्रवी छात्रों को पकड़ने के लिए गई थी। इस वीडियो से पहले पुलिस ने एक और झूठ बोला था।

 

 

पुलिस की ओर से दावा किया गया था कि वह जामिया कैंपस में घुसी ही नहीं थी, लेकिन वीडियो के जरिए अब यह बात भी साबित हो चुकी है कि पुलिस जामिया कैंपस में घुसी थी।