मंगल ग्रह पर धरती का एक और मेहमान पहुंच चुका है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 18 फरवरी की रात करीब 2.30 बजे अपने मार्स पर्सिवरेंस रोवर को जेजेरो क्रेटर में सफलतापूर्वक लैंड कराने का काम किया।
प्रभात खबर पर छपी खबर के अनुसार, नासा का यान शुक्रवार को लाल ग्रह की सतह पर उतर गया है। अब तक की सबसे जोखिम भरी और ऐतिहासिक इस खोज का उद्देश्य यह पता लगाना है कि मंगल ग्रह पर क्या कभी जीवन था।
अभियान के तहत ग्रह से चट्टानों के टुकड़े भी लाने का प्रयास किया जाएगा जो इस सवाल का जवाब खोजने में अहम साबित हो सकते हैं।
कैलिफोर्निया के पासाडेना में अंतरिक्ष एजेंसी की जेट प्रॉपल्जन लेबोरेटरी में ग्राउंड कंट्रोलर अधिकारियों ने रोवर ‘पर्सवियरन्स’ के मंगल ग्रह की सतह पर उतरने की पुष्टि के बाद इस ऐतिहासिक घटना पर खुशी जतायी और राहत की सांस ली।
सफल लैंडिंग के बारे में धरती तक सिग्नल पहुंचने में साढ़े ग्यारह मिनट का समय लगा और यह समाचार मिलते ही तनाव का माहौल खत्म हो गया।
यान नियंत्रक स्वाति मोहन ने घोषणा की, ‘‘सतह पर पहुंचने की पुष्टि हुई. ‘पर्सवियरन्स’ मंगल की सतह पर सुरक्षित तरीके से पहुंच चुका है।
पिछले एक सप्ताह में मंगल के लिए यह तीसरी यात्रा है। इससे पहले सऊदी अरब अमीरात और चीन के एक-एक यान भी मंगल के पास की कक्षा में प्रवेश कर गए थे।
यहां खास बात यह है कि नासा के मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की तलाश करने के लिए भेजे गये अंतरिक्ष यान परियोजना का नेतृत्व भारतीय-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन ने किया।
स्वाति मोहन की बात करें तो उनका जन्म भारतीय कन्नड दंपति के घर हुआ था। वह एक वर्ष की आयु में ही अमेरिका चली गयी थी। उनका पालन-पोषण उत्तरी वर्जीनिया, वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में हुआ।
मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से बीएस और एरोनॉटिक्स, एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी और पीएचडी की पढ़ाई उन्होंने की है।