सुल्तान क़ाबूस – ‘विद्रोही से शांतिदूत तक’

   

लंबी बीमारी के बाद ओमान के सुल्तान क़ाबूस का शनिवार 11 जनवरी 2020 की सुबह देहांत हो गया उनके स्थान पर नया सुल्तान हैशम बिन तारिक़ बिन तैमूर आले सईद को बनाया गया ।

 

सुल्तान क़ाबूस बिन सईद सल्तनत ओमान के शाही ख़ानदान ‘आले अबू सईद’ के आठवें शासक थे जिन्होंने 50 वर्षो तक ओमान पर अकेले राज किया।

 

सुल्तान क़ाबूस 1940 में ओमान के शहर सलाला में शाही परिवार में पैदा हुए । 20 साल की आयु में इंग्लैंड की प्रसिद्ध , प्रतिष्ठित मिलिट्री एकेडमी सेंडहर्स्ट में प्रवेश लिया। व्यवहारिक सैन्य प्रशिक्षण के लिए पश्चिम जर्मनी में इंग्लैंड की थल सेना में भी कुछ समय व्यतीत किया। 1970 में शिक्षा पूरी कर ओमान वापस लौट आए । उस समय ओमान में उनके पिता सुल्तान थे ।

नौजवान महत्वाकांक्षी क़ाबूस अपने पिता की नीतियों से असंतुष्ट था । उधर इंग्लैंड भी जो ओमान की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा भागीदार था । चाहता था कि तेल की आमदनी को सुल्तान सजोकर न  रखें । बल्कि देश के विकास और आधारभूत ढांचे को खड़ा करने के लिए ख़र्च करें । लेकिन क़ाबूस के पिता और उस समय के सुल्तान इसके लिए तैयार नहीं थे।

 

इंग्लैंड की राजशाही से अच्छे संबंध रखने वाले क़ाबूस ने इंग्लैंड की इच्छा , आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन में ओमान में अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह किया और उनका तख़्ता पलटने में सफल रहे । इस रक्तहीन तख़्तापलट के बाद 23 जुलाई 1971 को क़ाबूस ओमान के ‘सुल्तान क़ाबूस’ बन गए।

 

सुल्तान क़ाबूस ने तख़्त पर बैठने के बाद देश में राजनीतिक , सामाजिक , आर्थिक , सैन्य एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में बहुत से बदलाव एवं सुधार किए।

 

आर्थिक क्षेत्र में अपने पिता एवं पूर्व सुल्तान की नीतियों से अलग उन्होंने तेल की आमदनी को देश के विकास के कार्यो और ढांचागत सुविधाओं को खड़ा करने में ख़र्च किया ।जिसके बड़े-बड़े ठेके इंग्लैंड की कंपनियों ने प्राप्त किए ।

ओमान की ज़मीनी सीमाएं सऊदी अरब ,यमन और संयुक्त अरब अमीरात से लगती हैं । सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की विदेश नीति आक्रामक है । इन देशों की मध्य पूर्व से लेकर अफ्रीका तक प्रॉक्सी युद्ध में संलिप्तता है। अशांत यमन युद्ध की विभीषिका की पीड़ा सहन कर रहा है ।

ओमान की समुद्री सीमा ईरान से लगती है जो हरमुज़ गलियारे के उस पार स्थित है । जिसे क्रांतिकारी ईरान के रूप में जाना जाता है । लेकिन ओमान अपने पड़ोसियों के विपरीत कभी किसी भी विवाद का हिस्सा नहीं बना । उसके संबंध क़तर और ईरान से जितने अच्छे हैं उतने ही सऊदी अरब और संयुक्त अमीरात से भी हैं ।

 

खाड़ी क्षेत्र में ओमान की विदेश नीति तटस्थता के सिद्धांत पर आधारित है वह एक शांति प्रिय देश है । जो राष्ट्रों के मध्य आदर पूर्ण सह अस्तित्व की नीति पर आधारित है। ओमान की यह नीति क्षेत्र के लिहाज़ से विचित्र एवं अद्भुत है।

 

ओमान की प्रसिद्धि उसके द्वारा किए गए शांति प्रयासों के लिए भी है क्षेत्र में शांति की स्थापना के लिए ओमान प्रयासरत रहता है ओमान ने अमेरिका और ईरान के बीच गुप्त वार्ता के लिए प्रयास किया । जिसके नतीजे में अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौता हुआ । क़तर और सऊदी अरब विवाद में भी ओमान का प्रयास सुलह सफाई का रहा है ।

यही कारण है कि सुल्तान काबूस के अंतिम संस्कार में ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़, क़तर के अमीर तमीम , संयुक्त अमीरात के अमीर, सऊदी अरब के शाह सलमान , इंग्लैंड के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन , शाही परिवार से राजकुमार  चार्ल्स आदि पहुंचे ।

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इज़राइली प्रधानमंत्री ने सुल्तान का़बूस के निधन पर शोक एवं संवेदनाएं प्रकट करते हुए उन्हें एक महान नेता बताया जिन्होंने नेतन्याहू को ओमान की यात्रा का निमंत्रण देकर उन्हीं के शब्दों में इतिहास रचा । सार्वजनिक रूप से सुल्तान क़ाबूस अंतिम बार अक्टूबर 2018 में नेतन्याहू के दौरे के समय देखे गए थे ।

 

ओमान के भारत के साथ सामरिक संबंध हैं । ओमान पहला खाड़ी देश है । जिसके भारत के साथ रक्षा संबंध हैं।

 

ओमान के दुक़म बंदरगाह और मस्क़त बंदरगाह के लिए भारत के साथ समझौते हैं । जिसके अनुसार भारत की वायु सेना और नौसेना दुक़म और मस्क़त  बंदरगाह को अपनी आवश्यकता के लिए इस्तेमाल कर सकती है । ओमान और भारत प्रत्येक दो वर्ष पर संयुक्त वायु सेना का अभ्यास करते हैं ।  ओमान संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का पक्षधर है।

 

आर्थिक क्षेत्र में भी भारत और ओमान के बीच अच्छे संबंध हैं। ‘दुक़म स्पेशल इकोनामिक ज़ोन’ में भारत के अडानी ग्रुप का निवेश है तथा कई भारतीय कंपनी वहां स्थित हैं ।

 

सामरिक एवं आर्थिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण ‘साउथ एशिया गैस इंटरप्राइज’ ओमान से भारत तक जल के भीतर गैस पाइप लाइन का निर्माण किया जा रहा है जो भारत की गैस ज़रूरतो को पूरा करेगी । इस 1100 किलोमीटर लंबी गैस पाइप लाइन के चालू होने से भारत ‘तापी’ (ताजिकिस्तान-अफगानिस्तान -पाकिस्तान- इंडिया गैस पाइपलाइन) या ‘ईरान पाकिस्तान इंडिया पाइपलाइन’ की आवश्यकता नहीं रहेगी । यही कारण कि भारत अब ‘तापी गैस प्रोजेक्ट’ में रुचि नहीं ले रहा है ।

 

सुल्तान क़ाबूस के कोई पुत्र नहीं था । और न ही कोई भाई । इसलिए उन्होंने एक गुप्त पत्र में नए सुल्तान के संबंध में निर्देश लिख दिया था । जिसे उनके देहांत के बाद ही खोला जाना था । सुल्तान की मृत्यु के पश्चात पत्र को खोला गया जिसमें सुल्तान ने अपने चचाज़ाद भाई जो उनसे आयु में लगभग 10 वर्ष छोटे हैं । हैशम बिन तारिक़ बिन तैमूर आले सईद को ओमान का सुल्तान नामित किया ।

 

ओमान की जनसंख्या 45 लाख के लगभग है जिनमें मुसलमानों के अलावा ईसाई 6.5% और हिंदू 5.5% हैं बहरीन जहां ईसाई 14.5% और हिंदू 6.5% हैं । ओमान की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पादन) 204 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

 

ओमान के नए सुल्तान के सामने कई चुनौतियां हैं । राज परिवार को संतुष्ट रखना । तटस्थता की नीति को जारी रखना । पड़ोसी देशों की संस्कृति के अनुकरण से बचते हुए क्षेत्र या उससे बाहर किसी भी प्रॉक्सी युद्ध का हिस्सा ना बनना । ओमान के ऊपर राष्ट्रीय कर्ज़ जो 2001 में जेडीपी का 4.5 प्रतिशत था वह बढ़कर 2014 में 10.84% हो गया और 2019 में 46.27% , इससे निपटना नए सुल्तान के समक्ष बड़ी चुनौती है ।

 

ओमान का अपने पड़ोसी देशों या किसी और देश से किसी भी प्रकार का विवाद नहीं है । लेकिन फिर भी ओमान कुल राजकीय ख़र्च का 16.5% रक्षा पर ख़र्च करता है । जबकि संसार के देशों का वैश्विक औसत रक्षा ख़र्च 2.2% है। अपनी बुनियादी खाद्य आवश्यकताओं के लिए ओमान आयात पर आश्रित है । देखना यह है कि ओमान के नए सुल्तान इन चुनौतियों से कैसे पार पाते हैं ।

 

लेखक-  मिर्ज़ा शिबली बेग