देश में कोरोना के बढ़ते संक्रमण और तबलीगी जमात के प्रति कथित सोच को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को अपने विचार रखे. उन्होंने इस प्रकार के सोच से देश के लोगों को सावधान किया.
उन्होंने संघ के ऑनलाइन बौद्धिक वर्ग में कहा कि देश की 130 करोड़ आबादी में सभी भारत माता की संतानें हैं और हमारे भाई-बंधु हैं. उन्होंने कहा कि दोनों तरफ से कोई डर या गुस्सा नहीं होना चाहिए.
उन्होंने समाज के जिम्मेदार लोगों से अपील की कि वे अपने लोगों को इससे बचायें. उन्होंने कहा कि अगर कोई डर से या क्रोध से कुछ उलटा-सीधा कर देता है तो सारे समूह को उसमें लपेट कर उससे दूरी बनाना ठीक नहीं है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ का काम लॉकडाउन में भी चल रहा है. रोज के काम बंद है लेकिन दूसरे कामों ने उसकी जगह ली है.
"अपने समाज की सर्वांगीण उन्नति हमारी प्रतिज्ञा है। इसलिए जब तक काम पूरा नहीं होगा तब तक हमें सतत् भाव से यह सेवा कार्य करते रहना है।" – मा. मोहनजी भागवत
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मोहन भागवत ने कहा कि भड़कानेवालों की कमी नहीं है और इसका लाभ लेनेवाली ताकतें भी हैं. जिस तरह कोरोना का फैलाव अपने देश में हुआ है उसकी एक वजह यह भी है.
उन्होंने कहा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे ऐसा कहनेवाले ऐसा प्रयास करते हैं, राजनीति भी बीच में आती है. इनसे बचना है. सावधान रहना है. हमारे मन में प्रतिक्रिया वश कोई खुन्नस नहीं होनी चाहिए. भारत के सभी लोग भारत माता के पुत्र हैं, हमारे बंधु हैं. अपने अपने समाज के प्रमुखों को अपने लोगों को यह समझाना चाहिए.
एक कहानी सुनाते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि सफलता और असफलता के बीच तीन फीट का अंतर है. इसलिए बिना थके प्रयास लगातार करने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत ने जिन दवाइयों के निर्यात पर पाबंदी लगायी थी उसे भी दुनिया की भलाई के लिए खुद थोड़ा नुकसान उठा कर भी उन्हें दूसरे देशों को भेजी है. यह भारत का स्वभाव है. संघ प्रमुख ने कहा कि हम खुद चिंता करें कि हम काम करने लायक रहें. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, मास्क लगायें, आयुष मंत्रालय ने जो काढ़ा बताया है वैसा पियें.