आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कहा, ”एक अर्थशास्त्री ने मुझसे कहा कि आप इसे मंदी तभी कह सकते हैं जबकि आपकी विकास दर शून्य हो। लेकिन हमारी विकास दर पांच प्रतिशत के करीब है। कोई इसे लेकर चिंता जता सकता है, लेकिन इस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है।”
साक्षी प्रभा पर छपी खबर के अनुसार, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को यहां कहा कि ”तथाकथित” अर्थिक मंदी के बारे में ”बहुत अधिक चर्चा” करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे कारोबारजगत तथा लोग चिंतित होते हैं और आर्थिक गतिविधियों में कमी आती है।
The curious case of Mohan thinking himself as Manmohan https://t.co/gvfrhQN0MQ
— All India Mahila Congress (@MahilaCongress) October 8, 2019
भागवत ने कहा कि सरकार स्थितियों में सुधार के उपाय कर रही है और हमें विश्वास रखना चाहिए। वह विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
Mohan Bhagwat also stressed that belief in a “Hindu Rashtra” did not mean being “anti-minority”.
(reports @smritikak)https://t.co/pNZ9ppO5DD
— Hindustan Times (@htTweets) October 8, 2019
भागवत ने कहा, ”देश बढ़ रहा है। लेकिन विश्व अर्थव्यवस्था में एक चक्र चलता है, जब कुछ कठिनाई आती है तो विकास धीमा हो जाता है। तब इसे सुस्ती कहते हैं।”
उन्होंने कहा, ”एक अर्थशास्त्री ने मुझसे कहा कि आप इसे मंदी तभी कह सकते हैं जबकि आपकी विकास दर शून्य हो। लेकिन हमारी विकास दर पांच प्रतिशत के करीब है।
कोई इसे लेकर चिंता जता सकता है, लेकिन इस पर चर्चा करने की जरूरत नहीं है।” उन्होंने कहा, ”इस पर चर्चा से एक ऐसे परिवेश का निर्माण होता है, जो गतिविधियों को प्रभावित करता है।
तथाकथित मंदी के बारे में बहुत अधिक चर्चा से उद्योग एवं व्यापार में लोगों को लगने लगता है कि अर्थव्यवस्था में सच में मंदी आ रही है और वे अपने कदमों को लेकर अधिक सतर्क हो जाते हैं।”
उन्होंने कहा, ”सरकार ने इस विषय पर संवेदनशीलता दिखाई है और कुछ कदम उठाए हैं।” संघ प्रमुख ने कहा कि सरकार को अमेरिका और चीन के बीच व्यापार यु्द्ध जैसे कुछ बाहरी कारणों का सामना भी करना पड़ा है। उन्होंने कहा, ”हमें अपनी सरकार पर भरोसा करने की जरूरत है। हमने कई कदम उठाए हैं, आने वाले दिनों में कुछ सकारात्मक असर होंगे।”