कोरोना से जंग जीतने वाले 106 साल के मुख्तार अहमद, चार साल की उम्र में स्पैनिश फ्लू का कर चुके हैं सामना

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हर आयुवर्ग के व्यक्ति को अपना शिकार बनाने वाले कोरोना वायरस से दुनिया के कई बुजुर्ग उबर भी रहे हैं। इनमें कोरोना से जंग जीतने वाले दिल्ली के नवाबगंज निवासी 106 वर्षीय मुख्तार अहमद भी एक हैं।

 

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, मुख्तार अहमद कोरोना से जंग जीतने वाले देश के सबसे उम्रदराज व्यक्ति बन चुके हैं। महज चार वर्ष की उम्र में 1918 में स्पेनिश फ्लू का सामना कर चुके मुख्तार अहमद ने बुधवार को एक बड़ा खुलासा किया है।

 

 

परिवार द्वारा किए गए दावे के मुताबिक मुख्तार अहमद की उम्र 106 वर्ष है। इन्हें बीते 14 अप्रैल को दिल्ली के राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुख्तार में कोरोना वायरस संक्रमण उनके बेटे के जरिये पहुंचने की बात कही गई थी।

 

दुनियाभर को अपना शिकार बनाने वाले कोरोना वायरस से सफलतापूर्वक जूझने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और बीते 1 मई को वह वापस घर लौट आए।

 

जिस वक्त उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई, उनके बेटे का इलाज चल रहा था। बुजुर्ग को सलाह दी गई थी कि वह अपने परिवार से सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें।

 

मुख्तार अहमद अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रह रहे हैं और बुधवार को उन्होंने मीडिया को बताया, “मुझे उम्मीद नहीं थी कि जीवित बचूंगा, लेकिन उचित इलाज मिलने के बाद मैं ठीक हो गया। मैंने अपने जीवन में कभी इस तरह की महामारी नहीं देखी।”

 

हालांकि आज से 102 वर्ष पहले आई वैश्विक महामारी स्पेनिश फ्लू के दौरान मुख्तार महज चार वर्ष के थे। उस वक्त दुनिया के करीब 50 करोड़ लोग स्पेनिश फ्लू से संक्रमित हुए थे और 2 से 5 करोड़ लोगों की मौत हुई थी, जबकि भारत में इसने 1.20 करोड़ लोगों की जान ले ली थी।

 

मुख्तार अहमद के कोरोना वायरस से जूझकर जीवित बचने को डॉक्टरों ने भी काफी हैरानी से देखा है क्योंकि पुरानी बीमारी के साथ ही उम्रदराज व्यक्तियों के कोरोना से संक्रमित होने का काफी खतरा रहता है।

 

इस संबंध में डिस्चार्ज होने के दौरान अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. बीएल शेरवाल ने कहा था, “जब भी कोई मरीज ठीक होता है, तो यह हमारे लिए गर्व का क्षण होता है। हालांकि, अहमद की उम्र के कारण हम सभी के लिए प्रेरणादायक खबर है।”

 

अस्पताल के चिकित्सा कर्मियों ने अहमद में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने और सभी मुश्किलों से जूझते हुए इससे बाहर आने का दृढ़ संकल्प देखा।

 

डॉक्टर शेरवाल ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक व्यक्ति की “इच्छाशक्ति” सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक उदाहरण पेश किया है कि सौ साल से अधिक उम्र के लोग भी इस वायरस से लड़ सकते हैं।