तीन-तलाक़ पर बने कानून को किसी भी कीमत पर मानने के लिए तैयार नहीं है मुसलमान!

, ,

   

विवादित तीन तलाक़ (तलाक-ए-बिद्दत) बिल भारत के दोनों सदनों पास हो गया है और इस बिल के पास होने पर कुछ लोगों ने ख़ुशी भी मनाई है लेकिन इस मुद्दे पर भारत के अधिकतर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने अपना विरोध व्यक्त किया है।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि बिल राजनीति से प्रेरित है। बिल को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव वरिष्ठ अधिवक्ता ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा कि तीन तलाक़ बिल पास होना ही था।

केंद्र की भाजपा सरकार अपने तय एजेंडे पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड अपने स्टैंड पर क़ायम है। जिलानी ने कहा कि बिल को चुनौती देने के लिए बोर्ड सुप्रीम कोर्ट जाएगा, लेकिन बोर्ड की लीगल कमेटी की बैठक में तय होने के बाद।

उन्होंने कहा कि जल्द ही बोर्ड बैठक कर अपनी आगे की रणनीति तय करेगा। ऑल इंडिया इमाम काउंसिल के महासचिव मौलाना सुफ़ियान निज़ामी का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का हक़ है।

उन्होंने कहा कि संसद में जिसका बहुमत होता है, उसी की जीत होती है और यही वजह है कि एक संवैधानिक तरीक़े से बिल पास हुआ है। मौलाना निज़ामी ने कहा कि राज्यसभा में बिल पास करवाने में उन पार्टियों का सबसे अधिक योगदान रहा जिन्होंने राज्यसभा से वॉकआउट किया।

इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना ख़ालिद रशीद फ़िरंगी महली ने कहा तीन तलाक़ बिल राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि मौजूदा बिल मुस्लिम महिलाओं को राहत देने के बजाय नुक़सान पहुंचाने वाला है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, मौलाना फ़िरंगी महली ने कहा कि, तीन तलाक़ पर रोक की मांग कर रही महिलाओं व अन्य संगठनों ने बिल पर आपत्ति जताकर उसमें बदलाव की मांग की थी, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी की। मौलाना ने भारतीय संसद में पास हुए तीन तलाक़ बिल को इस देश के लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताया है।

इसी तरह राष्ट्रीय सुन्नी ओलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मुफ़्ती इंतेज़ार अहमद क़ादरी का कहना है कि ट्रिपल तलाक़ का क़ानून शरीयत पर सीधा हमला है। उन्होंने कहा कि तलाक़ जैसी गंदगी और सज़ा से बचने के लिए केवल जागरूकता का ही एक रास्ता है।

मौलाना क़ादरी ने कहा कि मुसलमान अपनी समस्याएं घर में सुलझाएं, कोर्ट-कचहरी और पुलिस थानों से बचें, यही शरीयत का संदेश है। बरेली के नबीरे आला हज़रत के मौलाना तसलीम रज़ा खां ने कहा कि उनका बहुमत है, वह कुछ भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि शरई क़ानून न बदला जा सकता है न उससे ऊपर कुछ है।

मौलाना ने कहा कि नए-नए क़ानून बनाए जाने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि देश को किस दिशा में मोड़ रहे हैं, यह दुनिया देख रही है। मौलाना तसलीम रज़ा खां ने मुसलमानों से अपील कि है कि शरीयत पर अमल करें और सावधानी भी बरतें। उन्होंने कहा कि शरीयत में जिस तरह तलाक़ का आदेश है, उसका पालन करें।