मुस्लिम बहुल सीटें जिन्हें बीजेपी रणनीति बनाकर जीतने में कामयाब हो गयी!

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लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल में जबर्दस्त प्रदर्शन करते हुए तृणमूल सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के माथे पर चिंता की लकीरों को गहरा कर दिया है। दरअसल, भाजपा ने बांग्लादेश की सीमा से लगने वाली आधा दर्जन से अधिक उन लोकसभा सीटों पर भी जीत दर्ज करने में कामयाबी हासिल की है जहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है।

माना जा रहा है कि सीमावर्ती इलाकों में भाजपा को नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी जैसे मुद्दों सहित पशु तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान का जबर्दस्त फायदा मिला। इसके साथ भाजपा ने तृणमूल के अल्पसंख्यक वोट बैंक में भी सेंध लगाने में कामयाबी हासिल की।

प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के संयोजक अली हुसैन ने दावा किया कि कई लोकसभा क्षेत्रों में 15 से 20 फीसद मुस्लिम मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया, जबकि राज्यभर में अल्पसंख्यक समुदाय के पांच फीसद से अधिक वोट उसे मिला।

2014 में राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से महज दो सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार 18 सीटें जीतने में कामयाब रहीं जबकि पिछले चुनाव में 34 सीटें जीतने वाली सत्ताधारी तृणमूल 22 सीटों पर सिमट गई।

दरअसल, भाजपा ने जो 18 सीटें जीती है इनमें से आठ लोकसभा क्षेत्र सीमावर्ती इलाके की है जिसका एक हिस्सा भारत-बांग्लादेश सीमा से होकर गुजरता है और यहां बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी है। उत्तर बंगाल की आठ सीटों में से सात भाजपा ने छीना है।

इनमें अलीपुरद्वार को छोड़कर अन्य सभी छह सीटें- रायगंज, कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, बालुरघाट, दार्जिलिंग और मालदा उत्तर में मुस्लिमों की अच्छी-खासी आबादी है और यह सीमा से सटे क्षेत्र हैं। इनमें रायगंज लोकसभा क्षेत्र जहां 49 से 53 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं वहां भाजपा उम्मीदवार देवश्री चौधरी ने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार कन्हैया लाल अग्रवाल को 60 हजार से अधिक वोटों से हराया।

यहां माकपा के मौजूदा सांसद मोहम्मद सलीम व पूर्व केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी की जमानत तक जब्त हो गई। दरअसल, यहां अल्पसंख्यक वोटों का तीन तरफा विभाजन हो गया और तृणमूल, माकपा व कांग्रेस के बीच वोट बंटने व हिदू वोटों के एकत्रित होने से भाजपा उम्मीदवार जीतने में सफल रहीं।

इसी प्रकार कूचबिहार जहां 27 से 30 फीसद मुस्लिम वोटर हैं, वहां भाजपा के निशिथ प्रमाणिक ने 54 हजार से अधिक वोटों से जीत हासिल की। राजनीतिक विश्लेषक बिमल शंकर नंदा के अनुसार, कूचबिहार में लंबे समय से भगवा पार्टी संगठन की मजबूती पर काम कर रही थी जिसका उसे फायदा मिला। उन्होंने दावा किया कि प्रमाणिक को कम से कम एक लाख मुस्लिम वोट मिले और यह निर्णायक साबित हुआ।

जलपाईगुड़ी सीट जहां 17 से 20 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं, वहां भाजपा उम्मीदवार जयंत रॉय ने तृणमूल उम्मीदवार को 1.84 लाख वोटों से हराया। बालुरघाट में जहां एक तिहाई से अधिक मुस्लिम मतदाता हैं, वहां भाजपा की सुकांत मजूमदार ने 13000 वोटों से तृणमूल सांसद अर्पिता घोष को हराने में सफलता हासिल की।

जागरण डॉट कॉम के अनुसार, यहां हिदू वोट एकजुट रहा जबकि मुस्लिम वोट तृणमूल व वाम दलों के बीच बंट गया, जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिला। दार्जिलिंग सीट जहां नेपाली और बंगाली समुदायों का मिश्रण है, वहां लगभग 14.6 फीसद मुस्लिम वोट भी शामिल है।

चोपड़ा व फांसीदेवा विधानसभा क्षेत्रों की सीमा यहां बांग्लादेश से लगती है। यहां भाजपा उम्मीदवार ने तृणमूल प्रत्याशी को चार लाख से अधिक वोटों से हाराया। पिछली बार की तुलना में यहां भाजपा के वोट फीसद में 16.50 फीसद की वृद्धि हुई।