अयोध्या भूमि विवाद मामले में शनिवार को हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ यानी जो मांगा, वह न मिलने पर विकल्प को स्वीकार करने संबंधी हलफनामा दाखिल किया।
In Ayodhya Case dispute, both sides have jointly submitted their note of ‘moulding of relief’ to the SC in a sealed envelope. | #RamMandirCountdownhttps://t.co/wOMcBzgauy
— TIMES NOW (@TimesNow) October 19, 2019
शीर्ष अदालत ने बुधवार को मामले में 40 दिनों की गहन सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
Prominent Muslim body Jamiat Ulama-i-Hind's chief Maulana Arshad Madani said no compromise will be acceptable in the #RamJanmabhoomi– #BabriMasjid land dispute case, and hoped that the SC verdict would be based on evidence and not faith.https://t.co/oixu25yKOT
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) October 20, 2019
इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का मतलब है कि अगर मालिकाना हक किसी एक या दो पक्ष को मिल जाए तो बचे हुए पक्ष को क्या वैकल्पिक राहत मिल सकती है। मुस्लिम पक्षकारों ने दस्तावेजों को संयुक्त रूप से सीलबंद लिफाफे में पेश किया है।
Ayodhya case: Parties submit note on nature of reliefhttps://t.co/RdFL2qlssR pic.twitter.com/leQPE66ZWH
— Hindustan Times (@htTweets) October 19, 2019
सुनवाई के आखिरी दिन बुधवार को मुस्लिम पक्षकारों ने शीर्ष अदालत को स्पष्ट रूप से कहा था कि वे बाबरी मस्जिद की बहाली चाहते हैं, क्योंकि यह विध्वंस से पहले मौजूद थी। मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने फोन कॉल और मैसेज का जवाब नहीं दिया।
रामलला विराजमान पक्ष की ओर से जोर देते हुए कहा गया है कि अदालत भक्तों को जमीन दे। अदालत में दिए गए नोट में कहा गया, “मुस्लिम पक्ष इसके हकदार नहीं हैं, क्योंकि ढांचा पहले से मौजूद नहीं था।
विवादित स्थल पर मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए गुहार लगाना अन्यायपूर्ण है। यह हिंदू धर्म, इस्लामी कानून और न्याय के सभी सिद्धांतों के विपरीत है।”
रामलला के वकीलों ने कहा कि अयोध्या हिंदुओं के तीर्थ स्थानों में से एक है। नोट में कहा गया है कि अयोध्या आस्था, विश्वास और पूजा का वह मार्ग है, जिसके द्वारा हिंदू मोक्ष को प्राप्त करेंगे। हिंदू उपासक गोपाल सिंह विशारद का कहना है कि हिंदुओं की असीम मान्यता को देखते हुए इसे किसी अन्य धर्म के साथ साझा नहीं किया जाना चाहिए।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने भी इस संबंध में अपना नोट जमा किया है, जहां इसने संपत्ति के प्रशासनिक मुद्दों को उठाया है और इसे हल करने के लिए एक ट्रस्ट स्थापित करने की सिफारिश की है। इसी तरह की सिफारिश श्रीराम जन्म पुनरुद्धार समिति द्वारा की गई है।