सड़क पर भी नमाज़ अदा की जा सकती है लेकिन यह मतलब नहीं कि वह मस्जिद समझा जाये- हिन्दू पक्षकार

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अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लगातार जारी है। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के वकील अपनी दलीलें जजों की बेंच के सामने रख रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सितंबर, 2010 के अपने फैसले में अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को ‘राम लला’, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, रामलला विराजमान की तरफ से सी. वैद्यनाथन ने कहा कि सड़क पर भी नमाज़ अदा की जा सकती है लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि वो सड़क एक मस्जिद बन जाए या उसे मस्जिद समझा जाए। यह संरचना सही अर्थों में कभी मस्जिद थी ही नहीं।