निष्पक्ष चुनाव के लिए इलेक्ट्रॉल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगाने की मांग उठी!

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इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए अधिकतर राजनीतिक फंडिंग बीते साल लोकसभा चुनाव के दौरान तीन महीनों में हुई। ये खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत दाखिल याचिका से हुआ।

 

 

आज तक पर छपी खबर के अनुसार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से मिली जानकारी के मुताबिक योजना की शुरुआत होने के बाद मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच 12 चरणों में 6128.72 करोड़ रुपये के 12,313 बॉन्ड्स की बिक्री हुई।

 

 

ऊंचे मूल्य वाले बॉन्ड्स सबसे ज्यादा मुंबई में बिके। इसके बाद कोलकाता और दिल्ली का नंबर रहा।

 

ये आरटीआई एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की ओर से दाखिल की गई। 6128.72 करोड़ रुपये के 12,313 बॉन्ड्स की जो बिक्री हुई, उसमें से करीब 71% बीते साल लोकसभा चुनाव के दौरान मार्च, अप्रैल और मई में बिके।

 

 

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सबसे ज्यादा 4,681 बॉन्ड्स 2256.37 करोड़ रुपये (36.82%) मूल्य के अप्रैल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान बिकेे।

 

इसी तरह दूसरे नंबर पर 1365.69 करोड़ रुपये (22.28%) के 2742 इलेक्टोरल बॉन्ड्स की मार्च 2019 में बिक्री हुई। बीते साल ही मई में 822.26 करोड़ रुपये (13.42%) बॉन्ड्स की बिक्री हुई।

 

 

 

मुंबई में सबसे ज्यादा 1879.96 करोड़ रुपये (30.67%) के 2899 बॉन्ड्स बिके. इसके बाद कोलकाता में 1440.33 करोड़ रुपये (23.50%) के 3478 बॉन्ड्स की बिक्री हुई। दिल्ली में 918.58 करोड़ रुपये (15%) के 1630 बॉन्ड बिके।

 

 

जितने बॉन्ड बिके, उनमें से 4917.512 करोड़ रुपये के 8903 बॉन्ड्स मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 में नई दिल्ली में कैश कराए गए, जहां अधिकतर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के मुख्यालय हैं।

 

दूसरे नंबर पर हैदराबाद में 512.30 करोड़ रुपये (8.39%) के 1255 बॉन्ड्स कैश कराए गए। तीसरे नंबर पर भुवनेश्वर में 236.50 करोड़ रुपये (3.87%) के 484 बॉन्ड्स कैश कराए गए।

 

 

बता दें कि मार्च 2018 से अक्टूबर 2019 के बीच इलेक्टरोल बॉन्ड्स 12 चरणों में बेचे गए।  मार्च, अप्रैल और मई को छोड़कर हर चरण में बॉन्ड्स की बिक्री के लिए 10 दिन निर्धारित किए गए थे। हर चरण में बॉन्ड्स को कैश कराने के लिए 15 दिन दिए गए।