NIA सज़ा दिलाने में नंबर वन: आतंकवादी घोषित करना, आतंकवाद के खिलाफ नया हथियार!

   

इंद्र वशिष्ठ, आतंकवाद की वारदात संगठन/ संस्था नहीं व्यक्ति करता है। व्यक्ति ही संस्था/ संगठन बनाते है। सरकार एक संगठन पर प्रतिबंध लगाती हैं तो वह व्यक्ति संस्था का नाम बदलकर कर दूसरे नाम से संस्था/ संगठन बना लेते हैं।

फिर उस पर प्रतिबंध लगाने और सबूत जुटाने में दो साल ओर लग जाते हैं इस दौरान वह आतंकवाद फैलाते रहते हैं। संस्थाओं पर प्रतिबंध कब तक लगाते रहेंगे ?

जब तक आतंकवादी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति को आतंकवादी घोषित नहीं करते इनके काम पर रोक नहीं लग सकती।

इसलिए आतंकवाद पर काबू पाने के लिए व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की जरूरत है।
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य सभा में गैर कानूनी गतिविधि निवारण (संशोधन) बिल के समर्थन में यह बात कही।

इसका उदाहरण उन्होंने आतंकी यासीन भटकल के मामले से दिया। कई वारदात में शामिल इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी यासीन भटकल को कोलकाता पुलिस ने पकड़ा था लेकिन यासीन ने उस समय अपना फर्जी नाम पुलिस को बताया और बाद में जमानत पर रिहा हो गया। पुलिस के पास उस समय उसकी फोटो और फिंगर प्रिंट आदि नहीं थी।

गृहमंत्री ने कहा कि यासीन भटकल को अगर साल 2009 में आतंकवादी घोषित किया गया होता तो उसकी फोटो और फिंगर प्रिंट आदि देशभर के सभी थानों में होते और तब वह कोलकाता पुलिस से एनआईए की जद में आ जाता।

एनआईए का सज़ा दर में अव्वल नंबर —

गृहमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 31-7-2019 तक 278 मामले दर्ज किए हैं इनमें से 204 मामलों में अदालत में आरोपपत्र दाखिल कर दिए गए हैं। 54 मामलों में अदालत ने फैसला सुना दिया है जिसमें 48 मामलों में सज़ा हुई हैं। सज़ा की दर 91 फीसदी है यह दुनियाभर की एजेंसियों में सबसे ज्यादा सज़ा की दर है। इन मामलों में 221 आरोपियों को सज़ा हुई है। अदालत ने 98 आरोपियों को दोषमुक्त कर किया है।

गृहमंत्री ने बताया कि किसी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का मतलब यह नहीं कि अंतिम ठप्पा लग गया है।

इसकी अपील के लिए सरकार की कमेटी है समीक्षा कमेटी , हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती हैं। स्कूटनी का चार स्तर पर प्रावधान है।

आतंकवादी घोषित करने के चार पैमाने —

जब कोई आतंकवादी गतिविधियों में भाग लेता है , आतंकवाद के लिए तैयारी में मदद करता है, आतंकवाद की अभिवृद्धि कराने में इसकी कार्य योजना बनाता है, घोषित आतंकवादी संस्थानों की गतिविधियों में शामिल पाया जाता है।

इन चार बिंदुओं की परिधि में शामिल होने पर व्यक्ति को आतंकवादी घोषित किया जाएगा।

गृहमंत्री ने कहा कि आतंकी अगर दो क़दम बढ़ते हैं तो हमें चार कदम आगे बढ़ाने होंगे तभी आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है। इसकेे लिए हमें अपनी जांच एजेंसियों को मजबूत करना है।

कांग्रेस के पी चिदंबरम ने इस एक्ट की धारा 5 और 6 पर आपत्ति जताई और कहा कि इसमें सबसे बड़ा खतरा यह है कि व्यक्ति विशेष की अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है। सिर्फ बिलीव के आधार पर उस व्यक्ति को आतंकी घोषित करना ग़लत है। किसी व्यक्ति का नाम कब लेंगे और किस स्तर पर आतंकी घोषित किया जाएगा।

गृहमंत्री ने चिदंबरम के सवाल के जवाब में बताया कि उपलब्ध व्यक्ति से गहन पूछताछ के बाद और वह पूछताछ में सहयोग करेगा तब करेंगे। लेकिन जो व्यक्ति उपलब्ध नहीं है तो उसे तो पहले ही आतंकवादी घोषित किया जाएगा जैसे कि पाकिस्तान में मौजूद आतंकी हाफिज सईद और दाऊद इब्राहिम आदि को तो पहले ही किया जा सकता है।

अमित शाह – दिग्विजय सिंह में नोंक-झोंक –

कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह संशोधन असंवैधानिक है और हमें इनकी नीयत पर संदेह है।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुझे भरोसा है कि सबसे पहले मुझे इसमें डालोगे। आपकी नीयत पर भरोसा नहीं है।

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि दुरुपयोग की बात कम से कम कांग्रेस के मित्र न करें। मैं इनका इतिहास बताने लगूंगा तो सात अगस्त यानी सत्र के अंतिम दिन तक जाएगा।

अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस द्वारा आपातकाल यानी इमरजेंसी में क्या किया गया था ? कानून के दुरुपयोग का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस अपना अतीत देख ले।

इसी बीच दिग्विजय सिंह बीच में कुछ आपत्ति जताते हुए बोलने लगे तो अमित शाह ने कहा कि दिग्विजय सिंह अभी चुनाव हार कर आए हैं इसलिए अपना गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।

अमित शाह ने बड़े ही रौबदार/ हड़काने वाले अंदाज में दिग्विजय सिंह से कहा कि आपकी बात का जवाब तो देना ही पड़ेगा और आपको सुनना भी पड़ेगा।

दिग्विजय सिंह द्वारा खुद को आतंकवादी घोषित किए जाने की बात पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मैं आश्वस्त करता हूं कि आप ” कुछ नहीं करोगे तो कुछ नहीं होगा “।

दिग्विजय सिंह ने अमित शाह से कहा कि जय प्रकाश नड्डा की ताजपोशी कर दीजिए। इस पर अमित शाह ने दिग्विजय सिंह से कहा कि आप अपना अध्यक्ष तो चुन लीजिए।

वरिष्ठ वकील सांसद के टी एस तुलसी ने इस एक्ट के संशोधन पर विरोध जताते हुए कहा कि इससे गंभीर खतरा पैदा हो जाएगा। इस संशोधन के अनुसार किसी व्यक्ति को सिर्फ इसी आधार पर आतंकवादी घोषित किया जा सकता है कि आप सोचते और महसूस करते हैं कि वह आतंकवादी है।

सांसद मीर मोहम्मद फैयाज ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा कि ऐसे कानून का सबसे ज्यादा दुरुपयोग कश्मीर में होगा।

मीर मोहम्मद फैयाज ने कहा कि मेरे घर भी कोई गन लेकर आएगा और कहेगा खाना दो तो बंदूक के सामने मैं क्या कर सकता हूं। । कश्मीर में ऐसा ही हो रहा है आतंकी खाना खा कर चला जाता हैं फिर पुलिस उनके घर पहुंच कर परेशान करती है जबकि इसमें उनका क्या कसूर है।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए

जांच एजेंसियों के हाथ मजबूत करने वाला यह गैर कानूनी गतिविधि निवारण (संशोधन) बिल राज्यसभा में भी पास हो गया।