सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक़ का सबूत नहीं दे पाई निर्मोही अखाड़ा!

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अयोध्‍या विवाद मामले में निर्मोही अखाड़े का पक्ष सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जमीन पर कब्‍जे के संबंध में कागजी सबूत मांगे हैं। कोर्ट ने अखाड़े से पूछा कि क्‍या आपके पास अटैचमेंट से पहले राम जन्‍मभूमि पर मालिकाना हक को लेकर कोई मौखिक या कागजी सबूत या रेवेन्‍यू रिकॉर्ड हैं। इस पर निर्मोही अखाड़े के वकील सुशील जैन ने जवाब दिया कि 1982 में हुई डकैती में सारे रिकार्ड गायब हो गए।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में अयोध्‍या विवाद पर दूसरे दिन की सुनवाई के दौरान अधिवक्‍ता सुशील जैन ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्‍या विवाद पर दूसरे दिन की सुनवाई जारी है। अधिवक्‍ता सुशील जैन ने एक बार फिर इस बात को दोहराया है कि सुप्रीम कोर्ट संपूर्ण विवादित जमीन निर्मोही अखाड़ा को सौंप दे।

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, निर्मोही अखाड़ा की ओर से दलील पेश करते हुए अधिवक्‍ता सुशील जैन ने कहा कि अदालत राम मंदिन निर्माण के लिए अहम 2.77 एकड़ जमीन पर नियंत्रण और प्रबंधन की अनुमति निर्मोही अखाड़े को देनी चाहिए। ऐसा इसलिए कि 1934 से मुस्लिम पक्ष को वहां पर प्रवेश की अनुमति नहीं है।

निर्मोही अखाड़ा की ओर से अधिवक्‍ता सुशील जैन प्रधान न्‍यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच के सामने दलील रख रहे हैं।

बता दें कि मंगलवार को अयोध्या विवाद को लेकर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में नियमित सुनवाई मंगलवार को शुरू हुई थी। आज दूसरे दिन की सुनवाई जारी है। । मंगलवार को सीजेआई ने सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा को अपना पक्ष रखने को कहा था।

निर्मोही अखाड़ा के वकील ने अदालत को बताया था कि 1961 में वक्फ बोर्ड ने विवादित स्‍थल पर दावा ठोका था। लेकिन हम वहां पर सदियों से पूजा करते आ रहे हैं। हमारे पुजारी ही प्रबंधन को संभाल रहे थे।

निर्मोही अखाड़े ने अदालत से कहा कि जमीन पर हमारा हक है। हमसे पूजा का अधिकार छीना गया है। अदालत हमारा हक विवादित जमीन पर फिर से बहाल करे।