निजाम के वंशजों ने पाकिस्तान से जीता केस, भारत आएगी निजाम की अरबों की संपत्ति

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पाकिस्तान को एक बार फिर भारत के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा है। भारत ने पाकिस्तान को लंदन में कानूनी तौर पर धूल चटाई है। भारत-पाकिस्तान और हैदराबाद के निजाम के वंशज के बीच 70 साल पुराने केस में लंदन कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है

हैदराबाद के निजाम के फंड को लेकर दशकों से चल रहे मामले में ब्रिटेन के एक हाई कोर्ट ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया है. जिसमें पाकिस्तान को करारा झटका दिया है.

निजाम के आठवें वंशज मुकर्रम जेह ने 70 सालों से विवादाग्रस्त 3 अरब (35 मिलियम पौंड) से अधिक रकम का केस का जीत लिया है. पाकिस्तान सरकार ने इस रकम पर दावा ठोकते हुए ब्रिटेन की अदालत में 2013 में हैदराबाद के निजाम के आठवें वंशज के खिलाफ मामला दर्ज किया था. जाहिर है पाकिस्तान के लिए यह एक और करारा झटका है, क्योंकि पाकिस्तान विभाजन के वक्त के फौरी घटनाक्रम को आधार बना कर इस रकम पर अपना दावा ठोकता आ रहा था.

पाकिस्तान सरकार ने इस रकम पर दावा ठोकते हुए ब्रिटेन की अदालत में 2013 में हैदराबाद के निजाम के आठवें वंशज के खिलाफ मामला दर्ज किया था. जाहिर है पाकिस्तान के लिए यह एक और करारा झटका है, क्योंकि पाकिस्तान विभाजन के वक्त के फौरी घटनाक्रम को आधार बना कर इस रकम पर अपना दावा ठोकता आ रहा था.

भारत विभाजन के दौरान निजाम की लंदन के एक बैंक में जमा रकम को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मुकदमा चल रहा था।

कोर्ट ने 70 साल पुराने इस केस में पाकिस्तान को झटका देते हुए साफ तौर पर कहा कि इस रकम पर भारत और निजाम के उत्तराधिकारियों का हक है। निजाम के वंशज प्रिंस मुकर्रम जाह और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह इस मुकदमे में भारत सरकार के साथ थे। देश के विभाजन के दौरान हैदराबाद के 7वें निजाम मीर उस्मान अली खान ने लंदन स्थित नेटवेस्ट बैंक में 1,007,940 पाउंड (करीब 8 करोड़ 87 लाख रुपये) जमा कराए थे।