कक्षा 2 तक का कोई होमवर्क नहीं!

, ,

   

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कक्षा दो तक के बच्चों को होमवर्क न दिए जाने, कक्षा तीन से पांच तक के बच्चों को सप्ताह में सिर्फ दो घंटे का होमवर्क देने और कक्षा नौ से 12वीं तक के विद्यार्थियों को रोजाना सिर्फ दो घंटे का होमवर्क दिए जाने के निर्णय का अभिभावकों ने स्वागत किया है।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, खासतौर से बच्चों की मम्मियां खुश हुई हैं। हालांकि यह व्यवस्था 2022 तक लागू होना है, मगर अपने छोटे बच्चों को लेकर चल रही टेंशन तो अभी से दूर होती दिख रही है।

वहीं शिक्षकों ने सरकार के इस फैसले को सराहते हुए कहा कि इससे समझ आधारित शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और बच्चे भी कुछ रचनात्मक कर पाएंगे।

होमवर्क से मिली आजादी खबर में मम्मियों से बातचीतयह अधिक बेहतर रहेगा कि कक्षा दो तक के बच्चों को होमवर्क से आजादी मिले।

इसी उम्र से यदि स्कूल के साथ होमवर्क का मानसिक दबाव मिलता है तो बच्चे चिड़चिड़े हो जाते हैं। -जूही महल।सरकार का अच्छा फैसला है।

छोटे बच्चों के स्कूल की क्लास के बाद होमवर्क की बजाय कुछ और क्रियात्मक काम दिया जाना चाहिए। जिससे पढ़ाई में उनकी रुचि बढ़े। -एकता पाराशरी।यह फैसला ठीक रहा। इससे बच्चों पर शुरूआती दिनों से दवाब नहीं आएगा।

बच्चों का मानसिक विकास भी कुछ रचनात्मक प्रयोगों के साथ होना आवश्यक है। इससे यह हो सकेगा। हमारे समय में क्लास में कहते थे। रट्टू तोता न बनो विषय को समझो, यह फैसला कुछ उसी तरह का है।

यहां बच्चे विषय को समझ कर उसे अपनी भाषा में लिख सकेंगे। -कुलप्रीत कौर।अभी इसे लागू होने में दो वर्ष का समय है। यह बेहतर साबित होगा।

इससे बच्चे रचनात्मकता से जुड़ी चीजों को कर पाएंगे और समझ आधारित शिक्षा का विकास होगा।

अभी तक होमवर्क के लिए नियम तय नहीं थे। किस क्लास से देना है कितना देना है। अब यह स्टडी समय निर्धारित हुआ है। इसका फायदा बच्चों को जरूर मिलेगा।

बच्चे किताबी ज्ञान से हटकर समझ आधारित ज्ञान पर अधिक फोकस कर पाएंगे। रटने की बजाए समझना अधिक आवश्यक है। इस पर स्कूलों का फोकस रहता भी है।

अब नियम आने के बाद सब ऐसा करेंगे। इसकी अभी ट्रेनिंग चल रही है। होमवर्क भी पाठ्यपुस्तकों पर आधारित नहीं होगा।

शिक्षकों को प्रयास करने होंगे कि बच्चों की समझ कैसे विकसित करनी है। इसके लिए हर सप्ताह प्लान पर काम करना होगा।