इस्लाम दहशतगर्दी और किसी पर भी जुल्म की इजाजत नही देता है- महमूद मदनी

   

यूपी के एक क्षेत्र के गांव गढ़ी दौलत के मदरसा जामिया बदरूल उलूम में सालाना जलसे का आयोजन किया गया। जलसे में पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों और न्यूजीलैंड की मस्जिद में शहीद हुए नमाजियों को खिराजे अकीदत पेश की गई।

जलसे में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव हजरत मौलाना महमूद मदनी ने 57 तलबाओं की दस्तार बंदी की। रविवार को आयोजित जलसे को खिताब करते हुए जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय महासचिव हजरत मौलाना महमूद मदनी ने फरमाया कि इस्लाम दहशतगर्दी और किसी पर भी जुल्म की इजाजत नही देता है। कहा कि दहशतगर्दों और जुल्म करने वाले की इस्लाम में कोई जगह नहीं है।

हजरत मौलाना सलमान उस्ताद देवबंद दारूल उलूम ने फरमाया कि मुसलमानों के पास जिंदगी से भी बड़ी चीज ईमान है। हर चीज बिक सकती है, लेकिन ईमान कभी नहीं बिक सकता है। हजरत मौलाना शौकत अली ने फमाया कि अल्लाह ने जो दौलत हम लोगों की दी है, उस दौलत से हम लोग गरीब, बेसहारा, गरीब लड़कियों की शादी कराने सहित धर्म के नाम पर खर्च करने से सवाब मिलता है।

जलसे को मदरसे के प्रबंधक हजरत मौलाना आकिल साहब, हजरत मौलाना नुरूल राशिद साहब सहित आदि लोगों ने खिताब किया। जलसे में हजरत मौलाना महमूद मदनी साहब ने 57 तलबाओं की दस्तार बंदी की।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, हजरत मौलाना मदनी साहब ने देश में अमनों अमान के लिए दुआ कराई। जलसे में मौलाना अथहर, मौलाना ईसराइल, मुफ्ती इमान, मौलाना तैय्यब, मौलाना दिलशाद, मौलाना खुर्शीद, कारी मुस्तकीम गंगेरू, मौलाना बदरूल हुदा सहित मुस्लिम समाज के गांव और आस पास देहात से बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।