अयोध्या विवाद पर दो दिन की सुनवाई पूरी हो चुकी है। गुरुवार को भी इस मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुनवाई होगी। आज रामलला विराजमान की ओर से अदालत के सामने पक्ष रखा जाएगा।
फिलहाल शीर्ष अदालत ने रामलला विराजमान के वकील से पूछा है कि क्या दिसंबर, 1949 में जो मूर्तियां रखी गई थीं, उन मूर्तियों की कार्बन डेटिंग पद्दति से जांच कराई गई?
पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने रामलला के वकील से पूछा है कि जिस तरह से रामलला विराजमान का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया है। क्या इस तरह का मामला दुनिया में कभी आया है जब भगवान राम या जीसस ने अदालत का दरवाजा खटखटाया हो? परासरण ने कहा इस बारे में जानकारी नहीं है। इस बात का पता करना पड़ेगा।
परासरण ने कहा ऐसे उदाहरण पौराणिक ग्रंथों में कई जगह मिलते हैं जिनमे ये साक्ष्य पुष्ट होता है कि यही वो स्थान है जहां राम ने जन्म लिया। ब्रिटिश राज में भी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने जब इस स्थान का बंटवारा किया तो मस्जिद की जगह को राम जन्म स्थान का मन्दिर माना।
रामलला विराजमान के वकील परासरण ने कहा कि श्रीराम का जन्म होने के कारण ही हिंदुओं के लिए ये जगह ज्यादा पूज्य है। वाल्मीकि रामायण का उदहारण देते हुए कहा कि स्वयं विष्णु ने देवताओं से कहा कि वो अयोध्या में दशरथ राजा के यहां मानव रूप में जन्म लेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला की तरफ से पेश 92 साल के परासरन से कहा- आप चाहें तो बैठकर अपनी दलील रख सकते हैं। परासरन ने विनम्रता से कहा- परंपरा इसकी इजाजत नहीं देती। मैं खड़े होकर ही अपनी बात रखूंगा।
इससे पहले मंगलवार और बुधवार को निर्मोही अखाड़ा ने अपना पक्ष रखते हुए विवादित जमीन पर अपना दावा पेश किया था। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के सामने सबसे पहले पक्ष रखते हुए निर्मोही अखाड़े ने कहा कि विवादित जमीन पर मुस्लिम पक्ष का दावा नहीं बनता।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही आखड़े के वकील से कहा कि अपनी देवदारी को लेकर तमाम दस्तावेज लेकर आइए और उसका एक चार्ट बनाएं। उसके बाद हम आपको सुनेंगे। अब निर्मोही अखाड़े की दावेदारी से संबंधित दस्तावेज शीर्ष अदालत को देना है।