नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि नागरकिता संशोधन कानून को रद्द कर दिया जाना चाहिए।
आज तक पर छपी खबर के अनुसार, कोलकाता में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को असंवैधानिक होने के आधार पर इस कानून को रद्द कर देना चाहिए।
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून का देश भर में विरोध हो रहा है। देश की विपक्षी पार्टियां नरेंद्र मोदी सरकार के इस कानून का विरोध कर रही हैं।
Nobel laureate Amartya Sen on Tuesday claimed that the Citizenship (Amendment) Act violates constitutional provisions.
The Nobel laureate said what really should matter for deciding citizenship is the place a person is born, lived and so on.https://t.co/T9lBfShU42
— The Wire (@thewire_in) January 8, 2020
इस कानून का विरोध करते हुए अमर्त्य सेन ने कहा, मुझे लगता है कि CAA को रद्द कर देना चाहिए, क्योंकि ये कानून नहीं हो सकता है, अब ये देखना सुप्रीम कोर्ट का काम है कि संसद में जो पास किया गया था वो विधि सम्मत है या नहींं।
Supreme Court should turn down CAA: Amartya Sen https://t.co/8eIklcQuH5
— MSN India (@msnindia) January 8, 2020
अमर्त्य सेन ने कहा कि जहां तक उन्होंने इस कानून को पढ़ा तो ये कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता का मामला संविधान सभा में आया था और फिर ये फैसला लिया गया कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है।
जवाहर लाल नेहरू के छात्रों का समर्थन करते हुए अमर्त्य सेन ने कहा है कि इस मामले में अबतक न्याय नहीं हुआ हैै। दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आखिर जिन लोगों को नकाबपोशों ने पीटा उन्हीं का नाम एफआईआर में कैसे जोड़ दिया गया।
हॉवर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन ने कहा कि कुछ बाहरी लोग आए और उन्होंने जेएनयू के छात्रों पर हमला किया और वहां पर उत्पात मचाया, विश्वविद्यालय प्रशासन इसे नहीं रोक सका और न ही पुलिस वहां पर वक्त पर पहुंच सकी।
साभार- आज तक