NPR 2020 अप्रैल से होगा स्टार्ट: किसी कागजात की जरुरत नहीं!

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मंगलवार को यहां आयोजित केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी NPR को अपडेट करने की मंजूरी दे दी गई। एनपीआर में भारत में रहने वालों से 15 जानकारी मांगी जाएगी और जनगणना के डाटाबेस को अपडेट किया जाएगा।

खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, इन आंकड़ो पर अप्रैल 2020 से काम शुरू होना है। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मीडिया को बताया कि एनपीआर अपडेट करने को कैबिनेट की मंजूरी दी गई है। इस बार नई तकनीक का इस्तेमाल होगा।

इसके लिए एप तैयार किया गया है। आजादी के बाद यह 8वीं जनगणना होगी। इसमें सभी लोगों की गिनती मुद्दा होता है। अप्रैल से सितंबर 2020 तक यह काम चलेगा। लाखों लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा।

एनपीआर पहली बार 2010 में यूपीए की सरकार में शुरू हुआ था। वर्ष 2015 में इसका अपडेशन हुआ था। इसमें कोई भी प्रूफ देने की जरूरत नहीं है।

न कागज देना है न बॉयोमैट्रिक है। आप जो कहोगे वही सही है, क्योंकि हमें जनता पर भरोसा है। इसे सभी राज्यों ने स्वीकार किया है। उन्होंने इसके नोटिफिकेशन निकाले हैं।

इसमें कुछ भी नया नहीं है। जो भी भारत में रहता है उसकी गणना होगी। कैबिनेट ने एनपीआर के लिए 3941 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। एनपीआर अपडेशन से तीन फायदे होंगे।

आयुष्मान योजना जैसी सभी स्कीम के लिए सही पहचान करने में आसानी होगी। सही और सभी लाभार्थियों तक पैसा पहुंचेगा। एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं है।

बंगाल और केरल एनपीआर का विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार एनपीआर के जरिए लोगों की निजी जानकारियां जुटा रही है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2010 में एनपीआर बनाने की पहल शुरू हुई थी।

वर्ष 2020 तक असम को छोडक़र इसे हर राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में लागू करना है। हैदराबाद से सांसद और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि देश में एनपीआर को एनआरसी के लिए लागू किया जा रहा है।