गृह मंत्रालय की तरफ से एनपीआर यानी राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को लेकर जारी विवाद पर स्थिति साफ करने की कोशिश की गई है लेकिन बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को एनपीआर में मातृभाषा पूछे जाने और माता-पिता के जन्म स्थान व तारीख पूछे जाने को लेकर आपत्ति है।
न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, पश्चिम बंगाल कीी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि बंगाल में एनपीआर-एनआरसी-सीएए लागू नहीं होगाा।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि बंगाल सरकार ने बीते 16 दिसंबर, 2019 को ही राज्य सचिवालय नवान्न की ओर नोटिस जारी कर राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तैयार करने और अद्यतन करने से संबंधित सभी गतिविधियों पर रोक लगा दी थी।
तृणमूल का कहना है कि एनपीआर के आधार पर केंद्र की मोदी सरकार आगे एनआरसी का रास्ता साफ कर रही है। अगर आपको नही पता तो बता दे कि एनपीआर में मातृ भाषा की जानकारी जोड़ी गई है। जिसे लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है कि इससे यह पता लगेगा कि देश में कितने लोग कितनी भाषा इस्तेमाल करते हैं।
यह भी कहा गया है कि इस आधार पर आगे राज्यों में अधिक बोली जाने वाली भाषाओं के आधार पर संबंधित भाषा को दूसरी अथवा तीसरी भाषा के तौर पर दर्जा दी जाएगी।
इसे लेकर तृणमूल को आपत्ति है। नाम नहीं छापने के शर्त पर एक तृणमूल नेता ने कहा कि एक रणनीति के तहत भाषा को जोड़ा गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि देश में कितने लोग बांग्लाभाषी मुसलमान हैं और फिर उन्हें बांग्लादेशी करार दिया जाय।