NRC और NPR दोनों अलग एक्ट है, मुस्लिमों को डरने की जरूरत नहीं- अमित शाह

   

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 2021 की जनगणना की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की मंजूरी दी गई।

खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, पहले से देश में नागरिकता संशोधन कानून और संभावित एनआरसी को लेकर जारी हंगामे के बीच एनपीआर लाने पर उठ रहे सवालों को लेकर शाम में गृहमंत्री अमित शाह ने आज तक पर बातचीत कर सफाई देने की कोशिश की।

उन्होंने कहा, ‘दोनों में मूलभूत अंतर है। एनपीआर जनसंख्या का रजिस्टर है। इसके आधार पर अलग-अलग योजनाओं के आकार बनते हैं। वहीं, एनआरसी में हर व्यक्ति से प्रूफ मांगा जाता है कि आप किस आधार पर भारत के नागरिक हैं।’

आपको बता दें कि आज ही कैबिनेट ने एनपीआर अपडेट करने को मंजूरी दी है। इसके लिए 3941.35 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है।

अमित शाह ने कहा कि राजनीति के तहत एनपीआर का विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने संसद में जो भी कहा था उसमें किसी भी नागरिक की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं है।

अब लोग नागरिकता कानून को समझना शुरू हो चुके हैं। गृह मंत्री ने कहा कि एनपीआर को लेकर भी ऐसे हालत न बनाए जाएं, इसके लिए मैं पहले ही इंटरव्यू दे रहा हूं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस 2010 में एनपीआर शुरू कर चुकी है। कार्ड भी बांटे थे, हम उसे ही आगे बढ़ा रहे हैं। मैं देशवासियों से साफ करना चाहता हूं कि एनपीआर का डेटा का एनआरसी के लिए उपयोग नहीं होगा। हमनें एनपीआर के लिए ऐप बनाया है।

जो जानकारी आप देंगे उसका सरकार रजिस्टर बनाएगी औऱ उसी के अनुसार सरकार विकास का कार्य करेगी। लोग चाहें तो आधार का नंबर दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर दस साल में अंतरराज्य में जनता की उथल-पुथल काफी ज्यादा हो जाती है।

अमित शाह ने कहा कि दोनों अलग एक्ट है और दोनों का उद्देश्य भी अलग है। मुस्लिम भाइयों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि इसका कोई उपयोग एनआरसी के लिए नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि एनपीआर औऱ एनसीआर में काफी का अंतर है। सवाल सीएए से खड़ा हुआ था, लेकिन अब लोग समझने लगे हैं कि इससे किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली है। अब जब सीएए पर विवाद खत्म हो रहा है तो राजनीति के तहत नया विवाद एनपीआर को लेकर शुरू किया जा रहा है।