NRC ड्राफ्ट की समय सीमा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार और असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया!

   

असम NRC मामले में केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार ने एक बार फिर एनआरसी ड्राफ्ट की समय सीमा बढ़ाने की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा है कि हम देखेंगे।

बता दें शीर्ष अदालत ने 31 जुलाई तक की समय सीमा निर्धारित कर रखी है। ऐसे में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से जल्द सुनवाई की मांग की थी।

इससे पहले बीती सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कोर्ड‍िनेटर प्रतीक हजेला से कहा था कि आपको 31 जुलाई की समय सीमा तक काम पूरा करना है, महज इस कारण से प्रक्रिया को जल्दबाजी में न करें।

साथ ही अदालत ने कहा था कि कुछ मीडिया रिपोर्ट हैं कि कैसे दावे और आपत्तियों के साथ निपटा जा रहा है और मीडिया हमेशा ही गलत नहीं रहता है। कभी-कभी मीडिया भी सही होते हैं।

कृपया यह निश्चित करें कि प्रक्रिया में कोई कमी न रहे और यह सही तरीके से किया जाए. उल्लेखनीय है कि असम में एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट गत 30 जुलाई 2018 को जारी हुआ था, जिसमें लगभग 40 लाख लोग बाहर रह गए थे।

न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, शीर्ष अदालत ने साफ किया था कि दावा पेश करते वक़्त व्यक्ति दस दस्तावेजों में से किसी एक या उससे अधिक को आधार बना सकता है। वहीं बाकी के पांच दस्तावेजों को आधार बनाए जाने पर अदालत ने संयोजक हजेला से 15 दिन में उनकी प्रतिक्रिया मांगी थी।

सरकार की तरफ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सभी 15 दस्तावेजों को आधार बनाने की अनुमति मांगते हुए कहा था कि असम के अधिकतर लोग गांव में रहने वाले और कम पढ़े लिखे हैं, जो छूट गए हैं, उन्हें अपना दावा करने के लिए अवसर मिलना चाहिए।