पाकिस्तान में घूस कर एयर स्ट्राइक: सरकार और विपक्ष आमने-सामने!

   

भारतीय वायुसेना की पाकिस्तान के बालाकोट में की गई सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत की मांग विपक्ष लगातार कर रहा है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगने पर पाकिस्तानी मीडिया में जमकर सुर्खियाँ बटोरी जा रही है।

पाकिस्तान में दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी की जमकर तारीफ हो रही है। विपक्ष के इस बयान के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तानी मीडिया ख़ुशी से लबरेज है और इन बयानों को भारत के खिलाफ उपयोग कर रहा है।

आखिर पाकिस्तानी मीडिया को कांग्रेस से इतना प्रेम क्यों है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह का सेना की कार्रवाई वाला सबूत मांगने का बयान पाकिस्तान मीडिया में ब्रेकिंग न्यूज़ में दिखाया जा रहा है।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के सबूत मांगने पर पाकिस्तानी टीवी जीओ न्यूज ने ब्रेकिंग खबर चलाई। चैनल ने कहा कि भारत के प्रमुख विपक्षी नेता मोदी सरकार से बालाकोट हमले का सबूत मांगा है।

गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना ने बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को निशाना बनाते हुए हवाई हमले किए थे। इसके बाद कांग्रेस सहित विपक्षी नेताओं ने एयर स्ट्राइक का सबूत मांगना शुरु कर दिए हैं।

बता दें कि कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने विंग कमांडर अभिनन्दन को रिहा करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को बधाई दी और पीएम मोदी से एयर स्ट्राइक का सबूत माँगा है।

दिग्विजय सिंह ने कहा कि तकनीक इस जमाने में बहुत आगे है, किसी भी चीज का सबूत मिल जाता है। सरकार को एयर स्ट्राइक का सबूत देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार से एयर स्ट्राइक सबूत मांगता है तो भारत सरकार को सबूत देकर उनका मुंह बंद कर देना चाहिए।

कुछ विरोधी नेता यह जानना चाह रहे हैं कि बालाकोट में कितने आतंकी मारे गए वहीं कुछ इस बात से चिंतित हैं कि पाकिस्तान यह क्यों नहीं कह रहा कि भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में उसके आतंकी ठिकानों को भारी नुकसान हुआ?

आखिर उन्हें अपने देश की सरकार पर ज्यादा भरोसा है या पाकिस्तान की सरकार पर? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि वे यह क्यों नहीं देख पा रहे हैं कि पाकिस्तान उनके बयानों का किस तरह इस्तेमाल कर रहा है?

21 विपक्षी दलों को वह बयान जारी करके क्या हासिल हुआ जिसकी व्याख्या पाकिस्तान ने इस रूप में आसानी से कर ली कि भारत के विरोधी दल अपने प्रधानमंत्री के रवैये से असंतुष्ट और असहमत हैं? आखिर इस तरह के बयान से किन राष्ट्रीय हितों की पूर्ति हुई?