तीन-तलाक़ बिल पास होने के लिए विपक्ष जिम्मेदार- मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

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लोकसभा के बाद राज्‍यसभा में तीन तलाक बिल पास होने के लिए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्‍य मौलाना केआर फिरंगी महली ने विपक्ष को जिम्‍मेदार ठहराया है। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए वे दल जिम्‍मेदार हैं जो मत विभाजन के दौरान सदन में उपस्थित नहीं थे। यदि ऐसे मौके पर भी आप सदन में उपस्थित नहीं रहेंगे तो आपके सांसद होने का क्‍या मतलब है? AIMPLB तीन तलाक बिल के खिलाफ रहा है।

ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, राज्यसभा ने मंगलवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक यानी ट्रिपल तलाक बिल को 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। विधेयक में तीन तलाक का अपराध सिद्ध होने पर संबंधित पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है।

उधर, एमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ओवैसी ने उम्मीद जताई कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल की वैधानिकता को चुनौती देगा। ओवैसी ने ट्रिपल तलाक बिल के राज्यसभा से पास होने के बाद एक के बाद कई ट्वीट किए।

उन्होंने अपने एक ट्वीट में लिखा, मुझे उम्मीद है कि भारत के संविधान की अनेकता और विविधता को बचाने की लड़ाई में पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल की वैधानिकता को चुनौती देता। कानूनों में समाज नहीं सुधरता। यदि ऐसा होता तो यौन शोषण, बाल शोषण, दहेज प्रताड़ना इतिहास बन गए होते।

ओवैसी ने कहा, यह कानून मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। उन्हें और ज्यादा अधिकारहीन बनाएगा। यह कानून महिला को जेल में बंद उस व्यक्ति के साथ जबर्दस्ती निकाह में बने रहने को मजबूर करेग जिसने शाब्दिक और मानसिक तौर पर उसका शोषण किया था। यह कानून मुस्लिम महिलाओं को गरीबी की ओर धकेलेगा।

उल्‍लेखनीय है कि मंगलवार को तीन तलाक विधेयक कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 बहस और पारित करने के लिए ऊपरी सदन में पेश किया गया। इस दौरान कानून मंत्री ने कहा कि कई इस्लामिक देशों में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

मगर, भारत ने धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र होने के बावजूद ऐसा नहीं किया। इससे पहले यह विधेयक लोकसभा में पारित किया गया था। विधेयक में मुस्लिम समुदाय में तत्काल तलाक देने के मामले में पुरुषों के लिए सजा का प्रावधान रखा गया है। इसी प्रावधान को लेकर विपक्षी दलों और मुस्लिम समाज के एक हिस्से को आपत्ति रही है।