153 देशों के 11 हजार से अधिक वैज्ञानिकों ने जलवायु आपातकाल की घोषणा कर दी है
More than 11,000 scientists issued a warning that the Earth is facing a "climate emergency" https://t.co/9JQjtmZms4
— BuzzFeed News (@BuzzFeedNews) November 6, 2019
डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, इन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर जीवमंडल के संरक्षण के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं तो “अनकही पीड़ा” सामने आएगी।
पर्यावरण को लेकर दुनिया को अब गंभीर रूप से कदम उठाने की जरुरत है। भारत के उत्तरी राज्यों में हाल के दिनों में जिस तरह का प्रदूषण देखने को मिला उससे वहां की सरकार, सर्वोच्च न्यायालय और आम जनता पर्यावरण को लेकर गहरी चिंता में डूब गई।
When thousands of #scientists that are trained to phrase things as factually, unemotionally and un-alarmistically as possible officially use vocabulary like "untold suffering" in context with #ClimateEmergency you know that shit is getting real. #climate https://t.co/HebdF1QsK4
— Ruben van Treeck (@rubenvantreeck) November 6, 2019
अब दुनिया भर के 11 हजार वैज्ञानिकों ने जलवायु आपातकाल की घोषणा की है।
मंगलवार को बायोसाइंस पत्रिका में एक रिसर्च रिपोर्ट छापी गई है। जलवायु आपातकाल की घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाले वैज्ञानिकों ने इस रिपोर्ट में लिखा है, “वैज्ञानिकों का यह नैतिक दायित्व है कि वे किसी भी ऐसे संकट के बारे में स्पष्ट रूप से आगाह करे जिससे महान अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा हो।
वैज्ञानिकों की इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाले ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता विलियम रिपल और क्रिस्टोफर वुल्फ लिखते हैं, “वैश्विक जलवायु वार्ता के 40 सालों के बावजूद हमने अपना कारोबार उसी तरह से जारी रखा और इस विकट स्थिति को दूर करने में असफल रहे हैं।
वैज्ञानिक चेतावनी देते हुए कहते हैं, “जलवायु संकट आ गया है और वैज्ञानिकों की उम्मीदों से कहीं अधिक तेजी से यह बढ़ रहा है
वैज्ञानिकों की चेतावनी
वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए 6 व्यापक कदम उठाने के सुझाव दिए हैं। इस घोषणा पर हस्ताक्षर करने वाले वैज्ञानिकों ने जीवाश्म ईंधन की जगह उर्जा के अक्षय स्रोतों का इस्तेमाल, मीथेन गैस जैसे प्रदूषकों के उत्सर्जन को कम करना।
धरती की पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित करना, पौधे आधारित भोजन का इस्तेमाल करना और जानवर आधारित भोजन कम करना, कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था को विकसित करना और जनसंख्या को कम करना शामिल है।