यूपी: करीब 200 से ज्यादा नौकरशाहों ने पत्र लिखकर लव-जिहाद कानून का समर्थन किया!

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उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार को पत्र लिखकर राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने वाले पूर्व नौकरशाहों के जवाब में विभिन्न क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले 200 से ज्यादा सजग नागरिकों ने पत्र लिखकर पूर्व नौकरशाहों की आपत्तियों को खारिज किया है।

गो इंडिया न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, संविधान की दुहाई देते हुए राज्य की चुनी हुई सरकार और लव जिहाद रोकने के लिए लाए गए अध्यादेश का बचाव किया है।

पत्र को यूपी के पूर्व मुख्य सचिव योगेंद्र नारायण ने लिखा है, जोकि राज्यसभा के पूर्व सेक्रेटरी जनरल भी रह चुके हैं. पत्र पर 224 से ज्यादा पूर्व सैनिक, पूर्व न्यायाधीश और बुद्धिजीवियों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं।

पूर्व मुख्य सचिव की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि ये बहुत ही चिंतित करने वाली है बात है कि व्यवस्था विरोधी सोच रखने वाले पूर्व नौकरशाहों का एक समूह, जोकि खुद को गैर-राजनीतिक दिखाते हैं।

अपने बयानों और पत्रों से वैश्विक स्तर पर भारतीय लोकतंत्र, संवैधानिक संस्थाओं और व्यक्तियों को नीचा दिखाने का कोई मौका छोड़ते नहीं हैं।

पूर्व मुख्य सचिव ने आगे लिखा है, हम ये स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि राजनीतिक रूप से प्रेरित यह दबाव बनाने वाला ग्रुप पूर्व नौकरशाहों, पुलिस और अन्य भारतीय प्रशासनिक सेवाओं, पूर्व जजों, सेना के पूर्व अधिकारियों, प्रोफेशनल्स और अन्य राष्ट्रवादी बुद्धिजीवियों, जिनका विश्वास है कि भारत एक महानतम लोकतांत्रिक देश और ग्लोबल ऑइकॉन के तौर पर वैश्विक मंच पर उभर रहा है, का प्रतिनिधित्व नहीं करता है।

पूर्व नौकरशाहों ने बीते हफ्ते नौकरशाहों के अन्य समूह द्वारा लिखे गए पत्र में लगाए गए आरोपों का जिक्र करते हुए लिखा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संविधान दोबारा से पढ़ने की सलाह देना, एक गैर-जिम्मेदार बयान है, जोकि संवैधानिक संस्थाओं का अपमान करता है।

ये पहली बार नहीं है, जब इस समूह ने संसद की छवि बिगाड़ने का काम किया हो।

इस समूह को लगता है कि न्यायिक समीक्षा का संवैधानिक अधिकार इन्हीं के पास है और ये अपने मनमुताबिक इनका परीक्षण करते रहते हैं।

कहना गलत ना होगा कि ये समूह भारत का बहुत बड़ा अपमान कर रहा है और पूरी दुनिया में बसे भारतीयों की छवि बिगाड़ रहा है।