पाकिस्तान की आतंक रोधी अदालत ने हिंसक रैलियों में हिस्सा लेने के मामले में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के प्रमुख खादिम हुसैन रिजवी, उनके भाई, भतीजे और 84 अन्य लोगों को 55 साल जेल की सजा सुनाई है।
अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, अदालत ने सभी दोषियों पर एक लाख 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। शुक्रवार को पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला आसिया बीबी को बरी किए जाने के बाद रैलियां निकाली गई थीं।
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गुरुवार की रात को रावलपिंडी की एक अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। ममाले में सुनवाई एक साल से ज्यादा समय तक चली।
86 people sentenced to 55-year prison terms each for taking part in violent rallies over the acquittal of Asia Bibi's blasphemy case. https://t.co/Sevg5W6Hc8
— Radio Free Europe/Radio Liberty (@RFERL) January 18, 2020
टीएलपी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने 2018 में ईसाई समुदाय की आसिया बीबी को ईशनिंदा मामले में उच्चतम न्यायालय से बरी किए जाने के विरोध मे हिंसक प्रदर्शन किया था। रावलपिंडी की अदालत ने दोषियों की संपत्ति को जब्त करने का भी आदेश दिया है।
अदालत ने 86 दोषियों को कुल मिलाकर चार हजार, 738 साल जेल की सजा दी है। उन्हें एक करोड़, 29 लाख, 25 हजार रुपये जमा करने का निर्देश दिया। अदालत के फैसले के बाद दोषियों को तीन वाहनों में कड़ी सुरक्षा के बीच अटक जेल भेज दिया गया है।
टीएलपी के वरिष्ठ नेता पीर एजाज अशरफी का कहना है कि सजा को चुनौती दी जाएगी। अशरफी का कहना है कि न्याय नहीं हुआ। हम फैसले को चुनौती देंगे। 86 लोगों पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लोगों को पीटने और आसिया बीबी की रिहाई के खिलाफ सामान्य जनजीवन को बाधित करने का आरोप है।
साल 2009 में आसिया बीबी को ईशनिंदा का दोषी पाया गया था। उन्हें इस्लाम का अपमान करने के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई थी।
2018 में पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने उनकी सजा को पलट दिया लेकिन कट्टरपंथी इस्लामियों ने इस फैसले के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया था।