समझौता एक्सप्रेस फैसला: असीमानंद सहित चारों आरोपियों के बरी होने पर पाकिस्तान ने उठाए सवाल

   

पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में आरोपियों के बरी किए जाने विरोध दर्ज कराया है। पाकिस्तान के कार्यवाहक विदेश सचिव ने भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को बुधवार को तलब किया और इस पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मामले की धीमी सुनवाई और इस केस की प्रगति पर हमेशा चिंता जताता रहा है। ट्रेन में हुए विस्फोट में निर्दोष लोग मारे गए थे।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, पानीपत के बहुचर्चित समझौता ब्लास्ट मामले में 12 साल बाद बुधवार को पंचकूला की विशेष एनआईए कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में मुख्य आरोपी असीमानंद समेत चारों आरोपियों को बरी कर दिया।

इस मामले में 224 गवाहों के बयान अभियोजन पक्ष की ओर से दर्ज हुए थे। जबकि बचाव पक्ष की ओर से कोई गवाह पेश नहीं हुआ। इनमें चार पाकिस्तानी नागरिक भी शामिल थे।

बुधवार को पंचकूला की एनआईए कोर्ट ने जैसे ही अपना फैसला सुनाया, मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिंदर चौधरी के चेहरे खिल उठे।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए पानीपत के वकील मोमिन मलिक द्वारा सीआरपीसी की धारा-311 के तहत गवाही के लिए लगाई गई याचिका को भी खारिज कर दिया।

इस केस में 11 मार्च को ही फैसला आने के कयास लगाए जा रहे थे लेकिन अंतिम क्षण में नया मोड़ आ गया था। पाकिस्तान की महिला वकील रहिला की मेल को आधार बनाते हुए वकील मोमिन मलिक ने याचिका दायर कर दी थी कि वह इस केस में कुछ प्रत्यक्षदर्शियों की गवाही करवाना चाहता हैं।

क्योंकि इस हादसे में रहिला के पिता की भी मौत हुई थी। लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बुधवार को याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि 12 साल तक ये लोग कहां थे। फैसले के वक्त लगाई गई याचिका मायने नहीं रखती है। गौरतलब है कि समझौता ब्लास्ट में 68 यात्रियों की मौत हो गई थी, जिसमें 16 बच्चे और चार रेलकर्मी भी शामिल थे।