गजा पट्टी में इस्राएल के हवाई हमले में बहा अबू अल अता की मौत हो गई है. अबू अल अता इस्लामिक जिहाद चरमपंथी गुट के एक बड़े नेता थे. इसके बाद इलाके में हिंसा फिर शुरू हो गई है.
Israeli airstrikes killed up to 23 people in Gaza including civilians, say officials. The strikes destroyed several homes in densely packed neighborhoods.
Israel has blockaded Gaza for 12 years, wrecking its economy and access to services like electricity and clean water. pic.twitter.com/w4LvRHjTx4
— AJ+ (@ajplus) November 13, 2019
बीते कई महीनों के बाद गजा पट्टी एक बार फिर अशांत है. सोमवार को इस्राएल के ताजा हवाई हमले में दो और लोगों की जान गई है. इसे मिलाकर हाल के दिनों में शुरू हुई हिंसा में अब तक कुल 12 लोगों की मौत हो चुकी है.
2 days, 360+ rockets, 110+ Israeli communities targeted by #IslamicJihad in #Gaza.
In case you're wondering about what's been happening in 🇮🇱 since Tuesday morning, here's a quick summary: pic.twitter.com/QtiP3EwdpB
— Israel Foreign Ministry (@IsraelMFA) November 13, 2019
मरने वालों में इस्लामिक जिहाद चरमपंथी गुट के बड़े नेता बहा अबू अल अता भी शामिल हैं. इस्लामिक जिहाद इस्राएल से लड़ने वाले कई गुटों में से एक गुट है. लेबनान में हिज्बुल्लाह और गजा में हमास भी ऐसे ही चरमपंथी संगठन हैं.
गजा पट्टी के दो प्रमुख चरमपंथी गुटों में एक इस्लामिक जिहाद भी है. यह सत्ताधारी गुट हमास से काफी छोटा है हालांकि ईरान से मिले धन और हथियारों के बल पर इसने काफी ताकत जुटा ली है. इस्राएल के साथ होने वाली झड़पों और रॉकेट हमलों में इन दिनों यह संगठन काफी ज्यादा सक्रिय है.
2007 में हमास ने गजा का नियंत्रण अंतरराष्ट्रीय मान्यता वाले फलस्तीनी अथॉरिटी से अपने हाथ में ले लिया था. प्रशासन अपने हाथ में लेने के बाद से हमास के हाथ बंध गए हैं. इस्लामिक जिहाद के पास ऐसी कोई जिम्मेदारी नहीं है इसलिए यह चरमपंथी गतिविधियों में ज्यादा सक्रिय है और कुछ मौकों पर इसने हमास के प्रभुत्व को भी चुनौती दी है.
इस्लामिक जिहाद का गठन 1981 में हुआ था जिसका मकसद पश्चिमी तट, गजा और नया इस्राएल कहे जाने वाले इलाके को मिलाकर इस्लामी फलस्तीनी राज्य का गठन करना था. अमेरिकी विदेश मंत्रालय, यूरोपीय संघ और दुनिया की कई दूसरी सरकारों ने इसे आतंकवादी संगठन करार दिया है.
मध्यपूर्व और इसके बाहर के देशों में दूसरे चरमपंथी गुट भी इस्लामिक जिहाद के नाम का इस्तेमाल करते हैं लेकिन तब इसका मतलब अंतरराष्ट्रीय होता है स्थानीय जिहाद नहीं और ये संगठन आमतौर पर आपस में जुड़े नहीं हैं.
इस्राएली अधिकारी अबू अल अता को इस गुट की हथियारबंद ईकाई का कमांडर बताते है. अधिकारियों के मुताबिक गजा में इस गुट के शीर्ष कमांडर अबू अल अता ने इस्राएल के खिलाफ हुए हाल के हमलों की साजिश रची थी. 2014 में गजा पट्टी में हुई जंग के बाद अबू अल अता की हत्या को इस कड़ी में सबसे हाई प्रोफाइल हत्या कहा जा रहा है.
इस्लामिक जिहाद के बढ़ते प्रभाव का संकेत इस बात से भी मिलता है कि पिछले महीने इसके नेताओं ने स्वतंत्र रूप से काहिरा की यात्रा कर मिस्र के खुफिया विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की थी. इस दल में अबू अल अता भी शामिल थे. मिस्र के खुफिया विभाग के अधिकारी इस्राएल के साथ मध्यस्थ की भूमिका में हैं.
बताया जाता है कि ईरान इस्लामिक जिहाद को ट्रेनिंग और पैसा देता है. हालांकि इस गुट के लिए हथियार स्थानीय स्तर पर ही तैयार किए जाते हैं. हाल के वर्षों में इसने हमास के बराबर हथियार विकसित कर लिए हैं. इनमें लंबी दूरी के रॉकेट भी शामिल है जो इस्राएल के तेल अबीब तक मार करने में सक्षम हैं.
हालांकि इसका गढ़ गजा में है लेकिन इस्लामिक जिहाद के नेता बेरुत और दमिश्क में भी हैं जो ईरानी अधिकारियों के साथ करीबी रिश्ता रखते हैं. मंगलवार को इस्राएल के एक कथित मिसाइल हमले में इस गुट के एक और नेता अकरम अल अजूरी की मौत हो गई. इस बारे में सीरिया में मौजूद गुट के अधिकारियों ने जानकारी दी.
इस्राएल की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के पूर्व प्रमुख गियोरा आइलैंड का कहना है, “वह एक तरफ इस्लामिक जिहाद और ईरान के बीच सीधा संपर्क सूत्र था तो दूसरी तरफ गजा पट्टी और दूसरी जगहों पर निर्देश देता था.”
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी