24 मार्च से लेकर 30 मार्च और अप्रैल के पहले हफ्ते तक भारत के न्यूज चैनलों और अखबारों में तबलीगी जमात को लेकर जो कवरेज हुई है उसे फिर से देखने की जरूरत है. इस कवरेज के बहाने झूठी खबरें और अफवाहों को हवा दी गयी. एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत फैलायी गयी.
नतीजा ये हुआ कि अच्छे भले लोग भी सब्जी किससे खरीदनी है बाल किससे कटवाना है इसके लिए उससे धर्म पूछने लगे. यहीं नहीं सरकार की तरफ से भी इसे हवा देने के लिए संक्रमित मरीजों की संख्या में तबलीगी जमात की अलग से संख्या दी जाने लगी. इस कारण लोगों में और अधिक धारणा फैलने लगी.
जबकि वो समय था जब सरकार की जवाबदेही तय की जाती लेकिन मीडिया ने उन सवालों पर पर्दा डालने के लिए तबलीगी को सहारा बना लिया. इसका नतीजा क्या निकला, संप्रदायिक हालात कुछ और खराब हुआ और विश्व स्तर पर इन खबरों से हम सब लोगों को कुछ शर्मिंदा होना पड़ा.
साभार- https://khabar.ndtv.com/