कृषि कानून के खिलाफ़ चल रहे आन्दोलन में आया नाम तो दी सफाई!

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केंद्र सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन में अपना नाम उछलने पर अडानी समूह ने सफाई दी है।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, समूह ने साफ किया है कि हम किसानों से न तो अनाज खरीदते हैं और न ही अनाज की कीमत तय करते हैं। समूह ने कहा कि हम केवल भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए अनाज भंडारण कक्ष तैयार करते हैं और उसका संचालन करते हैं।

समूह ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जारी एक बयान में कहा, ‘कंपनी की भंडारण क्षमता निर्धारित करने में और अनाज का दाम तय करने में कोई भूमिका नहीं है।

कंपनी एफसीआई के लिए केवल एर सेवा/इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदाता है।’ बता दें कि एफसीआई किसानों से अनाज खरीदता है और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से बने भंडारण कक्षों में उन्हें स्टोर करता है।

इस प्रक्रिया में शामिल निजी भागीदारों को खाद्यान्न भंडारण कक्ष (सिलोज) बनाने के लिए और अनाज स्टोर करने के लिए एक शुल्क का भुगतान किया जाता है।

वहीं कमोडिटी के स्वामित्व के साथ-साथ इसके विपणन और वितरण अधिकार, एफसीआई के पास रहते हैं।

अडानी समूह ने कहा कि एफसीआई सार्वजनिक वितरण व्यवस्था के लिए अनाज की खरीद और परिवहन को नियंत्रित करता है।

उल्लेखनीय है कि अडानी समूह की ओर से यह बयान तब जारी किया गया है जब तीन कृषि सुधान कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों ने आरोप लगाया कि ये कानून अंबानी और अडानी के फायदे के लिए लाए गए हैं।

कुछ किसान संगठनों ने आरोप लगाया है कि अडानी समूह अनाज जमा करने और बाद में उसे ऊंची कीमत पर बेचने के लिए भंडारण कक्षों का निर्माण कर रहा है।