जस्टिस काजी फैज इसा की पत्नी सरिना इसा ने मंगलवार को देश के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और उन्हें पद से हटाने की मांग की।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, सरिना ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ कोर्ट में गुहार लगाई है।
अपनी याचिका में सरिना ने इमरान खान पर टैक्स चोरी और इनकम टैक्स में अपने नाबालिग बच्चों की संपत्ति का खुलासा न करने का आरोप लगाया।
डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरिना ने कोर्ट से इमरान खान को उनके पद से हटाने के लिए आदेश की मांग की।
उन्होंने पहले दायर किए गए रिव्यू पीटिशन को मंजूर करने की प्रार्थना की और आग्रह किया कि जस्टिस इसा मामले में पहले दिए गए आदेशों को खारिज कर दें।
उन्होंने यह भी प्रार्थना कि मामले की जो भी सुनवाई इनलैंड कमिश्नर ऑफ फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) जुल्फिकार अहमद द्वारा कराई गई है सबको रद कर दिया जाए।
उन्होंने प्रधानमंत्री पर यह भी आरोप लगाया कि अपनी टीम को उन्होंने सरिना व उनके परिवार के खिलाफ प्रोपेगैंडा कैंपेन करने को उकसाया था।
10 नवंबर को सरिना ने कोर्ट के रजिस्ट्रार के समक्ष याचिका दायर की जिसमें आग्रह किया कि 10 सदस्यीय कोर्ट में सभी मौजूद उन सभी जजों को फिर से बुलाया जाए जिन्होंने पहले उनके पति की याचिका को गलत करार देते हुए 19 जून को आदेश जारी किया था।
उस वक्त जस्टिस बंदियाल अपने सहयोगी इसा द्वारा सरकार के आवेदन के खिलाफ दायर मामले में 10 जजों की पूर्ण अदालत की पीठ का नेतृत्व कर रहे थे।
जस्टिस काजी फैज की पत्नी सरिना ने उस समय भी वीडियो लिंक के जरिए से अदालत के सामने अपना बयान दर्ज कराया था और ब्रिटेन में तीन संपत्तियों की जानकारी दी थी।
एसजेसी एक संवैधानिक निकाय है, जिसे कदाचार या भ्रष्टाचार की किसी भी शिकायत पर शीर्ष न्यायपालिका के न्यायाधीशों के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।
दरअसल, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के माध्यम से इमरान खान सरकार ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में ईसा के खिलाफ मामला दायर किया था। इसमें उन्हें अपनी पत्नी और बच्चों के मालिकाना हक वाली ऑफशोर कंपनियों में बारे में बात छिपाने के लिए बर्खास्त करने की अपील की थी।
सरकार ने उन्हें पद से हटाने के लिए सर्वोच्च न्यायिक परिषद (एसजेसी) में आवेदन दायर किया था। जस्टिस काजी फैज पाकिस्तान में अपने साहसी रवैये के लिए मशहूर हैं। वर्ष 2018 में फैजाबाद और इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शनों के खराब संचालन के लिए उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी आलोचना की थी।